30 नवंबर 2025 की सुबह, कानपुर के एक बस स्टॉप पर एक आदमी अपने बेटे को गर्म कपड़े पहना रहा था — उसकी उंगलियाँ ठिठुर रही थीं, और सांसें हवा में धुंध बन रही थीं। उसी पल, मेरठ के एक अस्पताल के आउटपेटिएंट वार्ड में तीन बुजुर्गों को गर्म कंबल में लिपटा दिया गया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD Lucknow Center) के अनुसार, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और तराई क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। ये सिर्फ एक आंकड़ा नहीं — ये जिंदगी बदल देने वाली सिहरन है।
ठंड का असली दर्द: कोहरा और हवा का जाल
पश्चिमी यूपी के अलावा, पूर्वांचल में तापमान जितना नीचे गया, उतना ही लगा जैसे हवा ने खुद को शीतल कर लिया हो। लखनऊ के कुछ हिस्सों में दिनभर कोहरा छाया रहा, जिसकी वजह से बसों की शुरुआत देर से हुई। एक ड्राइवर ने कहा, "सुबह 6 बजे भी आधा रास्ता दिख रहा था — बाइक चलाना जैसे अंधेरे में ड्राइव कर रहे हों।" वहीं, बाराबंकी और मुजफ्फरनगर में रात का तापमान 7-8 डिग्री तक पहुंच गया। गंगा के किनारे वाले गांवों में लोगों ने बिजली के बजाय लकड़ी की आंच पर बैठकर रात बिताई।
क्यों बदल रहा है मौसम? पश्चिमी विक्षोभ का रहस्य
इस ठंड का कारण सिर्फ सामान्य सर्दी नहीं। ये है पश्चिमी विक्षोभ — जो हिमालय के पश्चिम से आकर उत्तरी भारत पर छाता है। पिछले 48 घंटों में एक ऐसा विक्षोभ राज्य के ऊपर से गुजर चुका है, जिसने ठंडी हवाओं को घुला दिया। लेकिन ये नहीं रुका। IMD Lucknow Center के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 72 घंटों में दो और पश्चिमी विक्षोभ आने की संभावना है। ये विक्षोभ न सिर्फ तापमान बढ़ाएंगे, बल्कि दक्षिण-पश्चिमी और पूर्वी हवाओं का मिश्रण भी लाएंगे।
इसका मतलब? अगले दो दिनों में दिन का तापमान 24-25 डिग्री तक जा सकता है, लेकिन रात का तापमान भी 12-14 डिग्री तक नहीं गिरेगा। ये बदलाव अचानक नहीं हुआ। पिछले साल भी नवंबर के अंत में ऐसा ही हुआ था — जब दो विक्षोभ एक साथ आए थे और उत्तर प्रदेश में बीमारियों का दौर शुरू हो गया था।
कौन सबसे ज्यादा प्रभावित?
बच्चे, बुजुर्ग और गरीब लोग — ये तीनों इस ठंड के सबसे बड़े शिकार हैं। रामपुर और सहारनपुर के स्वास्थ्य केंद्रों में पिछले 72 घंटों में श्वास संबंधी बीमारियों के मामले 40% बढ़ गए हैं। एक स्वास्थ्य कर्मचारी ने बताया, "हमारे पास अब सिर्फ 15 ऑक्सीजन सिलेंडर हैं — और आज रात लगभग 22 रोगी उनकी मांग कर रहे हैं।"
किसानों को भी नुकसान हो रहा है। बाराबंकी के एक किसान ने कहा, "मेरे गेहूं के खेत में बर्फ नहीं पड़ी, लेकिन जमीन इतनी ठंडी हो गई कि अंकुरण रुक गया।" ये सिर्फ एक खेत नहीं — ये उत्तर प्रदेश के दो लाख खेतों की कहानी है।
अगले कदम: ठंड चली जाएगी, लेकिन...
अगले 48 घंटों में तापमान में 1.5-2 डिग्री की वृद्धि होने की उम्मीद है। कोहरा कम होगा, दिन गर्म होंगे, और सड़कों पर आवागमन आम तौर पर वापस आएगा। लेकिन ये राहत अस्थायी है। IMD Lucknow Center ने चेतावनी दी है कि अगले सप्ताह फिर से एक विक्षोभ आ सकता है — और उसके साथ शायद बारिश भी।
ये बदलाव सिर्फ मौसम का नहीं, बल्कि जीवन के तरीके का भी है। जिन लोगों के पास गर्म कपड़े नहीं, जिनके घरों में बिजली नहीं, जिनके लिए दवाइयां बहुत महंगी हैं — उनके लिए ये राहत अभी भी दूर है।
क्या होगा अगले दिन?
शुक्रवार से शुरू होने वाला अगला चक्र नए तापमान के संकेत लेकर आएगा। दिन का अधिकतम तापमान 26 डिग्री तक पहुंच सकता है, लेकिन रात का न्यूनतम तापमान भी 10-12 डिग्री के आसपास रहेगा। ये गर्मी नहीं, बल्कि एक नया संतुलन है — जिसमें ठंड और गर्मी एक साथ रह रही हैं।
क्या ये नया नियम बन रहा है? क्या हम अब नवंबर में भी बर्फ नहीं देखेंगे, बल्कि गर्म हवाओं का झोंका? विशेषज्ञ कहते हैं — ये सिर्फ एक बदलाव नहीं, बल्कि एक नए जलवायु युग की शुरुआत हो सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या अगले दिनों में बारिश होगी?
हां, अगले 5-7 दिनों में दो पश्चिमी विक्षोभ आने की संभावना है, जिनके साथ उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों — खासकर तराई और पश्चिमी जिलों — में हल्की बारिश हो सकती है। IMD के अनुसार, बारिश तेज नहीं होगी, लेकिन बर्फ के बजाय बारिश का आना नया रुझान है।
कोहरा क्यों इतना खतरनाक है?
कोहरा न सिर्फ दृश्यता कम करता है, बल्कि वायु प्रदूषण को जमा करता है। यूपी के शहरों में PM2.5 का स्तर 150+ μg/m³ तक पहुंच गया है — जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। अस्पतालों में अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मामले दोगुना हो गए हैं।
किस जिले में तापमान सबसे ज्यादा गिरा?
30 नवंबर को सबसे कम तापमान मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और बेहट में दर्ज किया गया — जहां रात का न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस तक गिरा। ये जिले गंगा के किनारे स्थित हैं, जहां नमी और ठंड का मिश्रण सबसे ज्यादा तीव्र होता है।
क्या ये ठंड अगले साल भी ऐसी ही होगी?
मौसम विज्ञानी मानते हैं कि अगले 5-10 सालों में नवंबर की ठंड और भी अधिक अनिश्चित होगी। पश्चिमी विक्षोभ अब अधिक अक्सर आ रहे हैं, और उनकी तीव्रता बढ़ रही है। इसका मतलब है — अब बर्फ नहीं, बल्कि अचानक ठंड और फिर अचानक गर्मी का चक्र नया नियम बन रहा है।
क्या सरकार ने कोई योजना बनाई है?
कुछ जिलों में गरीब परिवारों के लिए गर्म कंबल बांटे जा रहे हैं, लेकिन ये आधिकारिक पहल अभी बहुत सीमित है। अधिकांश राहत कार्य स्वयंसेवी संगठनों द्वारा किए जा रहे हैं। एक विशेषज्ञ ने कहा, "हमारे पास एक नीति है, लेकिन उसका अनुप्रयोग नहीं।" गर्मी के लिए तो योजनाएं हैं, लेकिन ठंड के लिए अभी भी कमजोर बाधाएं हैं।
क्या बाइक चलाने वालों के लिए कोई खास सलाह है?
हां। IMD ने सलाह दी है कि बाइक चलाते समय कान, नाक और गर्दन को पूरी तरह ढकें। गर्म कपड़ों के साथ ग्लव्स और मास्क जरूर पहनें। सुबह 6-9 बजे के बीच कोहरे के कारण दृश्यता 100 मीटर से कम हो सकती है। इस समय धीमी गति से चलें और हॉर्न बजाते रहें।
Rahul Sharma
दिसंबर 4, 2025 AT 09:09ये ठंड सिर्फ मौसम की बात नहीं है, ये तो हमारी नीतियों की नाकामी है। जब बच्चे और बुजुर्ग लकड़ी की आंच पर बैठ रहे हों तो बस सरकार का एक ट्वीट नहीं बचाएगा। गर्म कंबल बांटने की बजाय गर्मी के लिए बिजली के सब्सिडी का बंडल बनाया जाए, तो ये सब नहीं होता।
Shankar Kathir
दिसंबर 5, 2025 AT 01:06देखो यार, पश्चिमी विक्षोभ अब नए नियम बना रहे हैं। पिछले 10 सालों में नवंबर में ऐसी ठंड कभी नहीं आई थी। अब बर्फ नहीं, बल्कि अचानक गर्मी और फिर अचानक ठंड - ये जलवायु का नया गेम है। IMD के डेटा से पता चलता है कि ये विक्षोभ पिछले 5 साल में 2.3 गुना बढ़ गए हैं। और हां, कोहरा और PM2.5 का मिश्रण अस्थमा के मामलों को दोगुना कर रहा है। लखनऊ में तो अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर की गिनती अब रात को हो रही है। ये सिर्फ सर्दी नहीं, ये एक नए जीवन शैली की शुरुआत है।
Bhoopendra Dandotiya
दिसंबर 5, 2025 AT 01:46क्या आपने कभी सोचा है कि गंगा के किनारे वाले गांवों में लोग लकड़ी की आंच पर बैठकर रात बिताते हैं क्योंकि बिजली नहीं है? ये ठंड सिर्फ हवा की नहीं, बल्कि विकास की असमानता की है। एक तरफ शहरों में हीटर चल रहे हैं, दूसरी तरफ बच्चे अपने हाथों को सीने से लगाकर सो रहे हैं। ये जलवायु बदलाव नहीं, ये सामाजिक असमानता का नया रूप है।
Firoz Shaikh
दिसंबर 5, 2025 AT 16:28मैंने अपने दोस्त के घर बाराबंकी में देखा था - उनके घर में बिजली नहीं है, लेकिन एक छोटा सा डीजल जनरेटर है जो सिर्फ रात के दो घंटे चलता है। उनके बेटे को अस्थमा है, और उन्होंने कहा, "हम तो बस यही चाहते हैं कि वो सांस ले सके।" ये आंकड़े नहीं, ये जिंदगियां हैं। जब हम तापमान की बात करते हैं, तो हम भूल जाते हैं कि ये तापमान किसकी जिंदगी बदल रहा है।