रूस में 'सेक्स मंत्रालय' की योजना और महिलाओं की निराशा

रूस की राजनीतिक योजना: 'सेक्स मंत्रालय' की स्थापना

रूस के जन्म दर में गिरावट ने सरकार को एक नई योजना की तरफ अग्रसर किया है। इस योजना के तहत, एक नया 'सेक्स मंत्रालय' स्थापित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से बढ़ती हुई प्रजनन दर को प्रोत्साहित करना है। पिछले 25 वर्षों में जन्म दर सबसे निचले स्तर पर पहुँच चुकी है, और अधिकारियों ने इसे राष्ट्रीय संकट के रूप में देखा है।

इस मंत्रालय की स्थापना की खबर महिलाओं के बीच चिंता का विषय बनी है। मंत्रालय द्वारा तैयार की गई प्रश्नावली ने विवाद को और बढ़ा दिया है। महिलाओं से उनकी यौन सक्रियता, गर्भनिरोध के साधनों का उपयोग, पिछले गर्भधारण, मासिक धर्म चक्र, और संभोग के दौरान दर्द या खून बहने जैसी निजी जानकारी माँगी जा रही है।

महिलाओं का नजरिया

इन गहन और निजी प्रश्नों ने कई महिलाओं को असुविधा में डाल दिया है। देश भर की महिलाओं ने इस बात पर खुलकर असंतोष जताया कि यह सवाल उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। प्रश्नावली को पूरा करने के बजाए, कई महिलाएं इसे खाली ही लौटा रही हैं। हालाँकि, उसके बाद उन्हें अनिवार्य चिकित्सकीय सत्र में भाग लेना पड़ता है।

इस योजना की आलोचना यह कहते हुए की गई है कि यह महिलाओं की वास्तविक समीकरण को समझने में विफल रही है। पिछले अनुभवों, जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के समय की नीतियों की तरह, सरकार ने जन्म दर में अस्थायी वृद्धि की थी, लेकिन तब महिलाओं में आर्थिक अस्थिरता, सीमित स्वतंत्रता, और अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं के कारण असंतोष व्याप्त था।

महिला स्वास्थ्य पर नई रणनीति

पिछले वर्ष, महिलाओं के लिए निःशुल्क प्रजनन परीक्षण कार्यक्रम पेश किया गया था। इस प्रकार की पहल को नीति निर्माताओं द्वारा एक सकारात्मक कदम के रूप में प्रस्तुत किया गया, लेकिन इसे महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके जीवन के निजी पहलुओं पर अनावश्यक हस्तक्षेप के रूप में भी देखा गया।

कानून और 'चाइल्ड फ्री' आंदोलन

वर्ष 2022 में, राज्य डूमा द्वारा 'चाइल्ड फ्री' आंदोलनों पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक पेश किया गया था। भले ही यह शुरुआत में खारिज किया गया हो, लेकिन बाद में इसे सर्वसम्मति से अपनाया गया। इस विधेयक का उद्देश्य स्पष्ट था: बिना बच्चों के रहने वाले आंदोलनों को रोकना, जिन्हें सरकार जनसंख्या के लिए हानिकारक मानती थी।

समाज में एक बड़ा वर्ग मानता है कि इस प्रकार की योजनाएं और नियम महिलाओं की आजादी और उनके अधिकारों के खिलाफ हैं। यह योजना उन मूलभूत समस्याओं को अनदेखा करती है जो सच्चे अर्थों में महिला स्वास्थ्य और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकती हैं। इससे पहले उठाए गए कदमों का भी ऐसा ही प्रभाव रहा है।

आर्थिक परिस्थितियों और सामाजिक दबावों का प्रभाव

आर्थिक परिस्थितियों और सामाजिक दबावों का प्रभाव

बढ़ती आर्थिक अस्थिरता, रोजगार के अवसरों की कमी, और सामाजिक दबावों ने न केवल महिलाओं को बल्कि पूरे समाज को प्रभावित किया है। सरकार की नई नीतियां केवल अल्पावधि में ही कामयाब हो सकती हैं, जब तक कि संबंधित मुद्दों का सही समाधान नहीं ढूंढा जाता।

हालांकि विचार का उद्देश्य सकारात्मक है, लेकिन यह सोचने की जरूरत है कि इसे कैसे लागू किया जाए ताकि महिलाएँ वास्तव में सुरक्षित महसूस करें और उनका निजता का सम्मान हो। आज की वैश्विक दुनिया में, व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता का महत्व अत्यधिक है, और इसके बिना कोई भी सामाजिक नीति सफल नहीं हो सकती।