UK-India Free Trade Agreement: आर्थिक साझेदारी का नया अध्याय और टैरिफ्स में बड़ा बदलाव

यूके-इंडिया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: आर्थिक रिश्तों में नई ऊर्जा
6 मई 2025 को यूनाइटेड किंगडम और भारत के बीच यूके-इंडिया एफटीए यानी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर समझौता हुआ। इस ऐतिहासिक करार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केयर स्टारमर ने खुशी जाहिर की और इसे दोनों देशों के लिए 'विन-विन' स्थिति बताया। पिछले कई सालों से चल रही बातचीत के बाद यह समझौता फाइनल हुआ है, जो अब दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते और निवेश के रास्ते खोलने वाला माना जा रहा है।
दोनों देशों के नेताओं के मुताबिक, नया ट्रेड एग्रीमेंट सेवाओं, वस्तुओं, और निवेश के साथ तकनीकी साझेदारी में भी बदलाव लाएगा। अनुमान है कि इस करार से ब्रिटेन की जीडीपी में सालाना £4.8 बिलियन की बढ़ोतरी होगी और हर साल वेतन में £2.2 बिलियन का इजाफा होगा। दोनों देशों के बीच वस्त्र, ऑटोमोबाइल, नाश्ता, शराब, आईटी, हेल्थ, और फाइनेंस सेक्टर को भी एक नई दिशा मिलने वाली है। फिलहाल दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार $21.34 बिलियन के स्तर पर है, जिसे अगले कुछ सालों में दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।

टैरिफ्स में बड़ा बदलाव और फार्मूला
एफटीए के सबसे चर्चित हिस्सों में प्रमुख हैं टैरिफ कटौती। सबसे बड़ा फायदा यूके-इंडिया एफटीए के तहत यूके के व्हिस्की उत्पादकों को मिलेगा। अभी तक भारत में ब्रिटिश व्हिस्की पर 150% टैक्स लगता था, लेकिन अब इसे एक झटके में 75% कर दिया गया है और अगले 10 साल में इसे 40% तक लाया जाएगा। इसी तरह, यूके के मेमने के मांस (लैम्ब) पर लगने वाला टैक्स समझौते के लागू होते ही 0% हो जाएगा। लग्जरी कारों की बात करें तो इन पर टैरिफ घटाकर 10% कर दिया गया है, हालांकि यह कुछ तय सीमा तक आयात पर लागू होगा। लोकप्रिय सॉफ्ट ड्रिंक्स पर टैक्स को चरणबद्ध तरीके से सात साल में शून्य कर दिया जाएगा।
आयात-निर्यात के नियम भी आसान हुए हैं। भारत ने अब तक का सबसे बेहतर Rules of Origin फॉर्मूला अपनाया है, जिससे ब्रिटेन के उत्पादकों को अपने सामान की देश की पहचान और रूटिंग में आसानी मिलेगी। उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ाते हुए अब भारत से यूके में स्पैम कम्युनिकेशन रोकने के लिए भी नए प्रावधान लागू होंगे।
दोनों देशों के आर्थिक एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि अब यूके के किसान और शराब उत्पादकों के लिए भारतीय बाजार पहले से ज्यादा सुलभ होंगा। वहीं, भारतीय स्टार्टअप्स और आईटी सेक्टर के लिए ब्रिटिश बाजार में पहुंच आसान होगी। इन बदलावों से दोनों देशों में रोजगार के नए मौके बनेंगे, कंपनियां निवेश बढ़ाएंगी और सीधे आम लोगों की आय में भी इजाफा होगा।
टैक्स से जुड़ी दिक्कतों को सुलझाने के लिए Double Contributions Convention (DCC) की अलग से बातचीत होगी, जिससे कर संबंधी उलझनें दूर की जाएंगी। इसका फायदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों और उन पेशेवरों को होगा, जो भारत और ब्रिटेन दोनों देशों में काम कर रहे हैं।
आखिरकार, ये करार दोनों सरकारों के लिए सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक तौर पर भी बड़ा है। इससे वैश्विक बाजारों में साझेदारी और इनोवेशन बढ़ेगा, निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और रणनीतिक रिश्तों को ऊर्जा देने वाला कदम साबित होगा।