ट्रम्प का नया ट्रैवल बैन: ग्रिन कार्ड, H‑1B, F‑1 धारकों को सावधान

जब डोनाल्ड ट्रम्प ने 4 जून 2025 को एक व्यापक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, तो सभी को पता नहीं था कि उनके ट्रैवल बैन से ग्रीन कार्ड, H‑1B और F‑1 वीज़ा धारकों को विदेश यात्रा से कितनी बड़ी दुविधा का सामना करना पड़ेगा। यह आदेश, जिसका आधिकारिक शीर्षक “Restricting the Entry of Foreign Nationals to Protect the United States from Foreign Terrorists and Other National Security and Public Safety Threats” है, 9 जून 2025 से प्रभावी हो गया और 19 देशों के नागरिकों को लक्ष्य बनाता है।

इस बैन का तुरंत असर यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट ने 7 जून को सभी संबंधित वीज़ा जारी करना रोक दिया, जिससे मिलियन‑पलन लोगों को अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है। इस लेख में हम बैन की मुख्य बातें, इससे प्रभावित वर्ग, और आगे क्या हो सकता है, इस पर गहराई से चर्चा करेंगे।

बैन की विस्तृत रूपरेखा और कवरेज

यह बैन दो श्रेणियों में बाँटा गया है:

  • 12 देशों पर पूर्ण प्रवेश प्रतिबंध
  • 7 देशों पर आंशिक प्रतिबंध, जहाँ विशेष पोर्ट्स पर कड़ी जाँच लागू होगी

सभी 19 देशों के नागरिकों को इमिग्रेंट वीज़ा (स्थायी निवास) और नॉन‑इमिग्रेंट वीज़ा (अस्थायी कार्य या अध्ययन) दोनों के लिए रोक का सामना करना पड़ेगा। प्रमुख वीज़ा वर्गों में H‑1B (विशेषज्ञ पेशेवर), L‑1 (इन्ट्राकंपनी ट्रांसफ़री), O‑1 (असाधारण कौशल वाले), तथा F‑1, M‑1, J‑1 (विद्यार्थी व एक्सचेंज) शामिल हैं।

कौन कितनी जोखिम में?

इम्मिग्रेशन विशेषज्ञों के अनुसार, बैन का आधिकारिक दायरा केवल उन विदेशियों पर है जो 8 जून 2025 से पहले वीज़ा नहीं प्राप्त कर पाए हैं। लेकिन इसका अप्रत्यक्ष असर उन लोगों पर भी पड़ेगा जो अभी भी यू.एस. में वैध वीज़ा के साथ रह रहे हैं। विदेश यात्रा करने पर उन्हें पुनः प्रवेश पर अस्वीकृति का जोखिम उठाना पड़ेगा।

उदाहरण के तौर पर, एक भारतीय छात्र जिसने 5 जून को अपना F‑1 वीज़ा प्राप्त किया, अब यूरोप यात्रा के बाद अमेरिका वापस नहीं आ पाएगा, अगर वह बैन के तहत 19 देशों में से किसी एक के साथ यात्रा करता है। इस तरह की स्थितियों को लेकर अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल ने बैन की वैधता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मौजूदा इमिग्रेशन कानून में पहले से ही ओवरस्टे वाले देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया मौजूद है, और बैन का जुड़ाव अधिक कठोर और अनावश्यक है।

व्यापारी और शैक्षणिक संस्थानों पर असर

पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी कंपनियों ने एशिया‑पैसिफिक और मध्य‑पूर्व के कुशल कर्मियों को H‑1B वीज़ा के माध्यम से बड़ी संख्या में भर्ती किया है। अब इन कंपनियों को अपने कर्मचारियों के रिश्ते, प्रोजेक्ट टाईम‑लाइन और वैधानिक अनुपालन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। खासकर टेक स्टार्ट‑अप्स और फार्मा कंपनियों में जहाँ भारतीय और इरानी विशेषज्ञ प्रमुख भूमिका में हैं, वे बैन के कारण नई भर्ती रोकने पर मजबूर हो सकते हैं।

शिक्षा क्षेत्र में भी दिक्कतें साफ़ हैं। कई विश्वविद्यालयों में 19 देशों के छात्रों का प्रतिशत 12 % से अधिक है। उनकी इंटर्नशिप, रिसर्च प्रोजेक्ट, और फील्ड ट्रिप अब अस्थायी रूप से रद्द या पुनः शेड्यूल हो सकती हैं। इस पर इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी ने “मानवता‑संबंधी” पहल के रूप में चिंता व्यक्त की है, क्योंकि कई शरणार्थी छात्रों और उनके परिवारों के पास इस बैन के कारण अमेरिका आने का कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं बचा।

स्थानीय जाँच और प्रवासी नियंत्रण के कदम

बैन के कार्यान्वयन के लिए टेक्सास के कई बड़े पोर्ट्स पर कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) ने अतिरिक्त टास्क फोर्स तैनात किया है। प्रमुख शहरों में ब्राउनविले, लैरेडो, एल पासो, डालास‑फ़ोर्ट वर्थ, ह्यूस्टन, कॉर्पस क्रिस्टी और सांता आँटोना में वीज़ा‑धारकों की जाँच को कड़ा किया गया है। यात्रा के दौरान इन जगहों पर अतिरिक्त ब्रीफ़िंग और वैधता दस्तावेज़ सत्यापन के लिए इंतजार का समय बढ़ सकता है।

बैन में केवल दो विशेष अपवाद हैं: अफग़ान विशेष इमिग्रेंट वीज़ा (SIV) धारक, और ईरान के कुछ एथनिक अल्पसंख्यक जिन्हें “पार्थिव” माना गया है। बाकी सभी वर्गों के लिए कोई मानवीय वैवर नहीं दिया गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय छात्र संघों ने विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है।

भविष्य की सम्भावनाएँ और मौजूदा कानूनी चुनौतियाँ

भविष्य की सम्भावनाएँ और मौजूदा कानूनी चुनौतियाँ

पहले ट्रम्प बैन (2017) की तुलना में यह 2025 का बैन व्यापक, अस्पष्ट, और अनिश्चित काल के लिए लागू है। अभी तक इस बैन के पुनरावलोकन या समाप्ति पर कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं बनी है, जिससे अदालतों में कई याचिकाएँ दर्ज हो रही हैं। कुछ वकील संघों ने यह दावा किया है कि यह बैन संविधान के समानता सिद्धान्त का उल्लंघन करता है, क्योंकि यह केवल नागरिकता के आधार पर चयनात्मक प्रतिबंध लगाता है।

वर्तमान में यू.एस. सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को अस्थायी रूप से रोकने के लिए राहत नहीं दी है, इसलिए यह नीतिगत रूप से अभी भी प्रभावी है। प्रभावित लोगों की सलाह है कि अगर विदेश यात्रा आवश्यक हो तो पहले वीज़ा स्टेटस, वैध पासपोर्ट, और संभावित पुनः प्रवेश की जोखिम को समझें, और यदि संभव हो तो वैकल्पिक यात्रा मार्ग खोजें।

मुख्य बिंदु (Key Facts)

  1. बैन 9 जून 2025 से लागू, 19 देशों को कवर करता है।
  2. 12 देशों पर पूर्ण प्रतिबंध, 7 देशों पर आंशिक प्रतिबंध।
  3. ग्रीन कार्ड, H‑1B, F‑1 वीज़ा धारकों को विदेश यात्रा पर सावधानी बरतनी चाहिए।
  4. अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल और इंटरनेशनल रेस्क्यू कमिटी ने बैन की मानवीय परिप्रेक्ष्य में आलोचना की है।
  5. टेक्सास के प्रमुख पोर्ट्स पर अतिरिक्त CBP जाँच लागू।

क्या करना चाहिए? – सलाहकारों की सिफ़ारिशें

इम्मिग्रेशन वकील सुझाव देते हैं कि कोई भी वैध वीज़ा हो, फिर भी विदेश यात्रा से पहले इन बातों को देखें:

  • वर्तमान वीज़ा की समाप्ति तिथि और कोई प्रलेखित पुनः प्रवेश अनुमति।
  • आपके लक्ष्य देश की बैन सूची में शामिल है या नहीं।
  • यदि यात्रा अनिवार्य है, तो एक आपातकालीन अपवाद की संभावना के लिए स्थानीय एम्बेसी से संपर्क करें।
  • विज़ा‑धारकों को अपने नियोक्ता या विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय को अग्रिम सूचना देनी चाहिए।

Frequently Asked Questions

क्या ग्रीन कार्ड धारक विदेश यात्रा कर सकते हैं?

तकनीकी रूप से ग्रीन कार्ड धारक यात्रा कर सकते हैं, लेकिन अगर वे बैन के तहत 19 देशों में से किसी एक से आते हैं और 8 जून 2025 के बाद नया वीज़ा नहीं मिला है, तो पुनः प्रवेश पर उनका वीज़ा रद्द या स्थगित हो सकता है। इसलिए कई विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ऐसी यात्रा से बचें या वैकल्पिक मार्ग खोजें।

H‑1B वीज़ा धारक को किस जोखिम का सामना करना पड़ सकता है?

यदि H‑1B वीज़ा वाला व्यक्ति बैन‑किए गए देशों में से किसी एक से यात्रा करता है और उसके पास नई मान्य वीज़ा नहीं है, तो वह अमेरिकी सीमा पर रोक का सामना कर सकता है। कई कंपनियों ने अपने विदेशी कर्मचारियों को अस्थायी तौर पर घर में रहने या रिमोट वर्क करने की सलाह दी है।

F‑1 छात्र वीज़ा के साथ विदेश यात्रा पर क्या नियम हैं?

F‑1 छात्र को यात्रा से पहले अपने डिपार्टमेंट के अंतर्राष्ट्रीय छात्र कार्यालय से सलाह लेनी चाहिए। यदि उनका प्रोग्राम बैन‑किए गए देश से है, तो विश्वविद्यालय अक्सर सलाह देता है कि वे यात्रा न करें, क्योंकि पुनः प्रवेश पर I‑20 फॉर्म या वैध पुनः प्रवेश अनुमति अस्वीकार हो सकती है।

बैन के कानूनी चुनौती क्या हैं?

कई इमीग्रेशन वकीलों ने बैन को संविधान के समानता सिद्धान्त और उचित प्रक्रिया के उल्लंघन के रूप में चुनौती दी है। वर्तमान में कई याचिकाएँ फेडरल कोर्ट में पेंडिंग हैं, लेकिन अब तक सुप्रीम कोर्ट ने बैन को स्थगित नहीं किया है।

भविष्य में बैन में परिवर्तन की संभावनाएं क्या हैं?

सत्ता में बदलाव या कांग्रेस द्वारा निगरानी बढ़ने पर बैन में संशोधन या समाप्ति की संभावना है। लेकिन फिलहाल बैन में कोई निश्चित समाप्ति तिथि नहीं है, इसलिए हितधारकों को सतर्क रहना पड़ेगा।

1 टिप्पणि

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    vicky fachrudin

    अक्तूबर 6, 2025 AT 02:19

    ट्रम्प द्वारा जारी नया ट्रैवल बैन वास्तव में कई वीज़ा धारकों के लिए जटिल स्थिति पैदा कर रहा है;
    इस बैन की मुख्य विशेषता यह है कि यह न केवल ग्रीन कार्ड, बल्कि H‑1B और F‑1 वीज़ा धारकों को भी विदेश यात्रा से रोकता है;
    9 जून 2025 के बाद से 19 देशों के नागरिकों को यह प्रतिबंध लागू हो गया है, जिससे उनका पुनः प्रवेश जोखिम बढ़ गया है;
    विशेषज्ञों का कहना है कि बैन के तहत यदि कोई व्यक्ति 8 जून 2025 से पहले नया वीज़ा नहीं प्राप्त कर पाया, तो उसे वैध वीज़ा के साथ भी पुनः प्रवेश में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है;
    विशेष रूप से भारतीय छात्रों को यह बैन बहुत परेशान कर रहा है, क्योंकि कई छात्र यूरोप या एशिया के अन्य देशों में शैक्षणिक सम्मेलनों के लिए यात्रा करते हैं;
    यदि वे बैन के तहत सूचीबद्ध देशों में यात्रा करते हैं, तो उनकी I‑20 फॉर्म या पुनः प्रवेश की अनुमति रद्द हो सकती है;
    इसी प्रकार H‑1B वीज़ा धारकों को अपने नियोक्ताओं के साथ समन्वय करना होगा, ताकि यात्रा से पहले वैध पुनः प्रवेश की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके;
    कई टेक कंपनियां इस बैन के कारण विदेशी कर्मचारियों को रिमोट वर्क करने या घर में रहने की सलाह दे रही हैं;
    दवा कंपनियों ने भी इस मुद्दे को लेकर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि शोधकर्ता और विशेषज्ञ अक्सर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेते हैं;
    इस बैन के लागू होने से विश्वविद्यालयों को भी चुनौती का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय छात्र अपने प्रोजेक्ट और इंटर्नशिप के लिए यात्रा नहीं कर पाएंगे;
    वर्तमान में कई विश्वविद्यालयों ने वैकल्पिक ऑनलाइन फॉर्मेट अपनाने का प्रस्ताव रखा है, ताकि छात्रों को शैक्षणिक नुकसान न हो;
    कानूनी रूप से बैन को चुनौती देने के लिए कई इमीग्रेशन वकील संघ ने याचिकाएँ दायर की हैं, जिससे अदालत में बहस शुरू हो सकती है;
    सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इस बैन को रोकने का आदेश नहीं दिया है, इसलिए यह अभी प्रभावी है;
    इस परिस्थिति में सलाहकारों का कहना है कि यदि विदेश यात्रा अनिवार्य हो, तो पहले वीज़ा की वैधता, पासपोर्ट और पुनः प्रवेश की संभावनाएं जांचें;
    अंत में, यदि संभव हो तो वैकल्पिक यात्रा मार्ग, जैसे कि तृतीय पक्ष देशों के माध्यम से संक्रमण, पर विचार किया जा सकता है; यह जोखिम को कम कर सकता है.

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