जम्मू-पाठानकोट हाईवे पर सहार खड्ड पुल क्षतिग्रस्त, उधमपुर–कठुआ में भारी बारिश; देविका ब्रिज पर नुकसान की पुष्टि नहीं

रात भर पड़ी मूसलाधार बारिश ने जम्मू क्षेत्र की रफ्तार थाम दी। सहार खड्ड, कठुआ के पास जम्मू-पाठानकोट हाईवे पर बना पुल बीच से प्रभावित हुआ और ट्रैफिक को पास के वैकल्पिक पुल की ओर मोड़ना पड़ा। कई घंटों तक वाहनों की लंबी कतारें लगीं। इसी बीच सोशल मीडिया पर देविका ब्रिज (उधमपुर) के पिलर को नुकसान की बातें चलीं, लेकिन अभी तक किसी आधिकारिक एजेंसी ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

  • स्थान: सहार खड्ड, लोगेट मोड़ (कठुआ) के पास राष्ट्रीय राजमार्ग का पुल
  • स्थिति: बीच का हिस्सा ओवरफ्लो और तेज धारा से प्रभावित; ट्रैफिक वैकल्पिक पुल से डायवर्ट
  • बारिश: उधमपुर 144.2 मिमी, कटरा 115 मिमी, सांबा 109.0 मिमी, कठुआ 90.2 मिमी
  • देविका ब्रिज: पिलर डैमेज की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं

कहाँ क्या हुआ: सहार खड्ड पर पुल को कैसे नुकसान पहुंचा

सहार खड्ड एक मौसमी नाला है जो तेज बारिश में अचानक उफान पर आ जाता है। 24 अगस्त 2025 को जम्मू संभाग में हुई तेज बारिश के बाद इसकी धारा पुल के गर्डरों से ऊपर चढ़ गई। पानी अपने साथ बड़े-बड़े पत्थर और मलबा लाया, जिससे पुल के बीच का हिस्सा प्रभावित हुआ। सुरक्षा के मद्देनजर हाईवे पर ट्रैफिक तुरंत नजदीकी वैकल्पिक पुल की ओर डायवर्ट कर दिया गया।

बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो उधमपुर में 144.2 मिमी, कटरा में 115 मिमी, सांबा में 109.0 मिमी और कठुआ में 90.2 मिमी पानी गिरा। इतनी भारी बारिश में नालों में फ्लैश फ्लड्स आम हैं—पानी कुछ ही घंटों में कई गुना बढ़ जाता है और पुलों के नीचे ‘स्कॉरिंग’ यानी नींव के आसपास की मिट्टी कटने लगती है। यही वजह है कि पुराने या कम-ऊंचाई वाले पुल सबसे पहले दबाव में आते हैं।

ट्रैफिक पर असर साफ दिखा—भारी वाहनों की चाल धीमी हुई और छोटे वाहन वैकल्पिक मार्ग से गुजारे गए। हाईवे पेट्रोलिंग टीमों ने संवेदनशील मोड़ों पर बैरिकेडिंग बढ़ाई और ड्राइवरों को पानी के बहाव में प्रवेश न करने की सलाह दी। डाइवर्जन के कारण यात्रा समय बढ़ा, लेकिन नुकसान बढ़ने से रोकने के लिए यह कदम जरूरी था।

स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन और सड़क एजेंसियां (जैसे PWD/NHAI) ऐसी स्थितियों में सबसे पहले पुल की ‘कंडीशन असेसमेंट’ करती हैं—क्रैक, डेक लेवल, सपोर्ट और बियरिंग्स की जांच। धारा शांत पड़ने के बाद गोताखोर या तकनीकी टीमें पिलर्स के आसपास स्कॉर मापती हैं। अगर नींव सुरक्षित मिलती है तो अस्थायी मरम्मत और ट्रायल रन के बाद आंशिक खोलने का निर्णय होता है, वरना ट्रैफिक डाइवर्जन जारी रहता है।

देविका ब्रिज को लेकर सवाल, बड़े जोखिम और आगे के कदम

उधमपुर की पहचान मानी जाने वाली देविका नदी पर बना मुख्य पुल क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए अहम है। सोशल मीडिया पर इसके एक पिलर के क्षतिग्रस्त होने की चर्चा जरूर हुई, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि सामने नहीं आई। ऐसे मामलों में ‘वेट-एंड-वेरिफाई’ जरूरी है—पहले तकनीकी निरीक्षण, फिर बयान। जब तक इंजीनियरिंग रिपोर्ट न आ जाए, पुल को नुकसान मान लेना अनावश्यक डर फैलाता है।

यह घटना एक बड़ी चिंता फिर सामने लाती है—पहाड़ी इलाकों में चरम बारिश के दौरान पुलों और कलवर्ट्स की क्षमता। फ्लैश फ्लड्स में पीक डिस्चार्ज अचानक ऊपर जाता है, जिससे पुराने डिजाइन पैरामीटर छोटे पड़ जाते हैं। समाधान क्या है? जहां संभव हो, स्पैन की ऊंचाई बढ़ाना, नदी-नालों की डीसिल्टिंग, एप्रोच रोड की उचित ड्रेनेज और रियल-टाइम वाटर लेवल मॉनिटरिंग। कई राज्यों ने बाढ़-प्रवण पुलों पर ‘स्कॉर अलर्ट सेंसर’ लगाने शुरू किए हैं—जैसे ही नींव के पास मिट्टी कटती है, अलार्म बजता है और ट्रैफिक रोका जा सकता है।

यात्रियों के लिए सबसे व्यावहारिक बात—रवाना होने से पहले रूट अपडेट देखें, खासकर अगर रास्ता कठुआ, सांबा या उधमपुर से गुजरता है। रात में पहाड़ी बेल्ट में यात्रा टालें, क्योंकि उफान अचानक आता है और दृश्यता कम हो जाती है। फ्यूल टैंक आधा न रहने दें, कुछ सूखा भोजन और पानी साथ रखें, और गूगल मैप्स या लोकल रेडियो/ट्रैफिक पुलिस के चैनलों पर ध्यान दें। अगर सड़क पर पानी बह रहा हो, तो गाड़ी लेकर अंदर न जाएं—30–40 सेमी बहता पानी भी छोटे वाहन को असंतुलित कर सकता है।

आगे क्या? सहार खड्ड पर प्रभावित पुल की संरचनात्मक जांच के बाद ही मरम्मत या री-ओपनिंग का समय तय होगा। डाइवर्जन फिलहाल सबसे सुरक्षित विकल्प है। उधर, देविका ब्रिज के बारे में कोई भी आधिकारिक अपडेट आते ही तस्वीर साफ होगी। जब बारिश के 24–48 घंटे बाद धारा सामान्य हो जाती है, तभी असल नुकसान दिखता है—इसी खिड़की में इंजीनियरिंग टीमें सबसे ज्यादा सक्रिय रहती हैं।

फिलहाल, तथ्य साफ हैं—कठुआ के पास हाईवे पुल प्रभावित है, ट्रैफिक दूसरे पुल से चल रहा है, बारिश का प्रकोप ज्यादा था, और देविका ब्रिज पर नुकसान की बातों की पुष्टि नहीं। किसी भी नए दावे को आधिकारिक बुलेटिन से मिलान करें, क्योंकि आपात हालात में गलत जानकारी भी तेजी से फैलती है। सुरक्षित रहें, धीमे चलें, और अलर्ट पर रहें।