ITR डेडलाइन बढ़ाई: क्या मिलेगा और भी विस्तार? आयकर रिटर्न फाइलिंग पर नवीनतम अपडेट

डेडलाइन बढ़ाने की पृष्ठभूमि

आयकर रिटर्न (ITR) फाइलिंग की आखिरी तारीख हमेशा से करदाताओं के लिये तनाव का कारण रही है। 2025‑26 के मूल्यांकन वर्ष के लिए शुरू में 31 जुलाई तय था, परन्तु आयकर फ़ॉर्म में बड़े बदलाव और नई पोर्टल सुविधाओं के कारण केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इसे 15 सितंबर तक बढ़ा दिया। यह विस्तार विशेष रूप से उन लोगों के लिये था जिन्हें नवीन फ़ॉर्म तैयार करने में अतिरिक्त समय चाहिए था।

पोर्टल पर तकनीकी खामियों की वजह से सरकार ने एक और दिन की मार्जिन दे कर 16 सितंबर को अंतिम तिथि घोषित किया। सोशल मीडिया पर कई अफवाहें उफानी गईं कि शायद डेडलाइन को फिर से 30 सितंबर तक बढ़ाया जाएगा, लेकिन आयकर विभाग ने साफ़ शब्दों में कहा कि यह अंतिम सीमा है।

करदाताओं की अतिरिक्त अवधि की माँग और कानूनी कदम

डेडलाइन के बाद भी कई कर पेशेवरों और टैक्स बॉडीज़ ने विस्तार की पुकार की। तेलंगाना की टैक्स बार एसोसिएशन, भीलवाड़ा की फ़िर से लिखी गई सार्वजनिक हित याचिका (PIL) राजस्थान हाई कोर्ट में दायर की गई, जिसमें लेखा‑ऑडिट रिपोर्ट (TAR) और ITR फाइलिंग के लिये मौजूदा नियत तिथियों को नहीं बढ़ाने का विरोध किया गया। याचिका में कहा गया कि:

  • फ़ॉर्म और स्कीमा का रिलीज़ देर से हुआ, जिससे करदाता तैयार नहीं हो पाए।
  • नॉन‑ऑडिट करदाताओं को अतिरिक्त समय मिलने के बाद ऑडिट‑श्रेणी के करदाताओं को छोटे‑छोटे अंतराल में काम करना पड़ा।
  • नए रिपोर्टिंग फ़ॉर्मेट ने अतिरिक्त री‑वर्क और सलाहकारों की सहायता मांगी।
  • ई‑फ़ाइलिंग पोर्टल की लगातार तकनीकी गड़बड़ियों ने फाइलिंग प्रक्रिया को और जटिल बना दिया।

इन समस्याओं के चलते करदाताओं को जुर्माने, ब्याज, और कुछ नुकसानों की भविष्य में कमी का डर लगा। विशेषकर छोटे व्यापारियों और पेशेवरों को यह बोझ भारी महसूस हुआ।

वित्त मंत्रालय ने इन मांगों को सुनते हुए भी कहा कि 15 सितंबर की सीमा अंतिम है। विभाग ने बताया कि फॉर्म और पोर्टल में सुधार की गति अब तेज़ है, इसलिए अतिरिक्त विस्तार अनावश्यक होगा।

विभिन्न वर्गों के लिये नई अंतिम तिथियाँ

वर्तमान फाइलिंग सीजन में करदाताओं को तीन मुख्य वर्गों में बाँटा गया है:

  • नॉन‑ऑडिट करदाता: 16 सेप्टंबर तक बिना जुर्माने के फाइल कर सकते हैं।
  • ऑडिट‑श्रेणी के करदाता: 31 अक्टूबर तक फाइलिंग करनी होगी, नहीं तो § 234F के तहत ₹1,000‑₹5,000 का जुर्माना लगेगा।
  • ट्रांसफ़र प्राइसिंग रिपोर्ट की आवश्यकता वाले: 30 नवम्बर तक सबमिट करना अनिवार्य है।

इन तिथियों के बाद फाइलिंग करने पर § 234F के तहत फाइलिंग जुर्माना और § 234A के तहत बकाया टैक्स पर 1 % मासिक ब्याज लागू होगा।

भविष्य में देर से रिटर्न की संभावना और सावधानियाँ

भविष्य में देर से रिटर्न की संभावना और सावधानियाँ

यदि कोई करदाता अभी भी अंतिम तिथि चूक जाता है तो भी उसे 31 दिसंबर, 2025 तक लेट रिटर्न जमा करने की सुविधा है। लेकिन इस समय पर जुर्माना बढ़ जाता है—आय के स्तर के अनुसार ₹1,000 से ₹5,000 तक और साथ में ब्याज भी देना पड़ेगा। विभाग ने करदाताओं को सलाह दी है कि अंतिम तिथि के निकट तकनीकी गड़बड़ी या नेटवर्क समस्याओं से बचने के लिये जल्द से जल्द फाइल करें।

कुल मिलाकर, ITR डेडलाइन के बारे में अब स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी हो चुके हैं। जबकि कई वर्गों में शेड्यूल अलग‑अलग है, विभाग का सख़्त रुख यह दर्शाता है कि भविष्य में और समय नहीं दिया जायेगा। करदाताओं को यह सलाह दी जाती है कि नई फॉर्मेट को समझें, पोर्टल की स्थिति पर नजर रखें, और समय सीमा से पहले सभी दस्तावेज़ तैयार रखें ताकि दंड और ब्याज का बोझ न उठाना पड़े।