BRS MLC कलवाकुंतला कविता ने दिल्ली में महिला आरक्षण बिल के विरोध में मार्च का एलान

Kalvakuntla Kavitha, Member of Legislative Council of Bharat Rashtra Samithi ने 23 अगस्त 2023 को घोषणा की कि वह दिसम्बर 2023 में दिल्ली में महिला आरक्षण बिल के लिये एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित करेंगी। यह कदम उसी बिल को पारित कराने की निरंतर माँग का हिस्सा है, जो लोकसभा तथा सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिये 33 % सीटें सुरक्षित करने की कोशिश करता है।

परिप्रेक्ष्य और पृष्ठभूमि

महिला आरक्षण बिल, आधिकारिक तौर पर संविधान (106वां संशोधन) बिल 2023, पहली बार 2008 में राज्यमंत्री में पेश किया गया था और 2010 में राजसभा द्वारा स्वीकृत हो गया। तब से लेकर आज तक, यह बिल लोकसभा में 13 साल से फँसा हुआ है। स्वतंत्रता के बाद से बार‑बार इसे कई बार पेश किया गया, लेकिन किसी भी केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी।

कविता का यह कदम इसलिए भी खास है क्योंकि वह K Chandrashekar Rao – तेलंगाना के मुख्य मंत्री और BRS के संस्थापक – की बेटी है। उनका परिवार राजनीति में गहराई से जुड़ा हुआ है, परन्तु कविता ने अपना व्यक्तिगत मंच लेकर इस राष्ट्रीय मुद्दे को आगे बढ़ाया है।

कविता का प्रस्तावित प्रदर्शन

कविता ने बताया कि उनका प्रदर्शन 5 दिसम्बर को दिल्ली के राजपथ पर होगा, जहाँ से वह महिला आरक्षण बिल के लिये एक संधीभाजन स्वर बहाल करने की योजना बना रही हैं। इस अवसर पर उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं – Sonia Gandhi तथा Priyanka Gandhi Vadra – को साथ आने का आग्रह किया है।

बदलाव की आशा में, उन्होंने भाजपा के प्रमुख चेहरों – Smriti Irani, जो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की मंत्री हैं, और DK Aruna, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष – को भी आमंत्रित किया। ऐसा करने से कविता यह दिखाना चाहती हैं कि यह मुद्दा केवल एक पार्टी‑विशेष का नहीं, बल्कि पूरे लोकतंत्र की सच्ची प्रगति का सवाल है।

पिछला हड़ताल और समर्थन

दिसंबर का प्रदर्शन एक पहले से सम्पन्न संघर्ष का विस्तार है। 10 मार्च 2023 को कविता ने जंतर मंतर में छह घंटे का उपवास किया था। इस हड़ताल की शुरुआत Sitaram Yechury, सीपीआई‑एम के महासचिव ने की थी और इसके साथ 18 विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

  • समाजवादी पार्टी की सीमा शुक्ला
  • तेलंगाना शिक्षा मंत्री सविता इन्द्र रेड्डी
  • तेलंगाना महिला एवं बाल कल्याण मंत्री सत्यवती राठौर
  • ऐएमपी के संजय सिंह एवं चित्रा सरवारा
  • शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुज्जराल
  • पीडिपी (जम्मू‑कश्मीर) के अंज़ुम जावेद मिर्ज़ा
  • नेशनल कॉन्फ्रेंस की शमी फिद्दूस
  • त्रिनाथ कांग्रेस की सुष्मिता देव
  • जेडीयू के KC Tyagi, एनसीपी की सीमा मलिक, और कई अन्य

इन विभिन्न धड़ों के सहयोग से यह स्पष्ट हुआ कि महिला आरक्षण बिल एक पार‑पार्टी मुद्दा बन चुका है।

सुविधा दल और राजनीतिक प्रतिक्रिया

बिहार में BRS ने 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में केवल सात महिलाओं को टिकट दिया, जिसके कारण कई विपक्षी पार्टियों ने कविता की नीति पर सवाल उठाए। इस पर कविता ने कहा, "यदि 70 करोड़े महिलाएं हमारे देश में रहती हैं, तो उन्हें संसद में भी समान आवाज़ मिलनी चाहिए।" उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि 2010 में राजसभा द्वारा पास किया गया बिल, 2023 में भी लोकसभा में क्यों नहीं पास हो पाया, जबकि नरेंद्र मोदी सरकार के पास पूर्ण बहुमत था।

दूसरी तरफ, कांग्रेस और भाजपा दोनों ने इस मुद्दे को लेकर अलग‑अलग रुख अपनाया। कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से कविता की मांग का समर्थन किया, जबकि भाजपा ने कहा कि यह उनके पक्ष में नहीं है क्योंकि वह अपने स्वयं के महिला राजनैतिक एजेंडा पर काम कर रही है। फिर भी, दोनों ही पार्टियों ने इस विधेयक पर चर्चा करने का आह्वान किया।

संभावित प्रभाव और आगे का मार्ग

यदि महिला आरक्षण बिल पारित हो जाता है, तो वर्तमान 78 महिलाओं की संख्या संसद में लगभग 259 तक बढ़ जाएगी। यह परिवर्तन न केवल महिलाओं के लिये प्रतिनिधित्व का विस्तार करेगा, बल्कि महिलाओं के मुद्दों को विधायी स्तर पर तेज़ी से उठाने की संभावना भी बढ़ाएगा। कविता ने कहा, "आज केवल 78 महिला सांसद हैं, जबकि हमारे पास 78 लाख संभावित नेता हैं।"

भविष्य को देखते हुए, कविता ने कहा कि वह अगले विशेष सत्र में सभी 47 पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश करेंगी। उन्होंने पहले भी 47 पार्टियों को लिखी हुई पत्र में कहा था कि "एक ही बार कांग्रेस, भाजपा और अन्य सभी दल मिलकर इस बिल को पास करें, तो यही भारत की प्रगति का असली मापदण्ड होगा।"

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार का बहुपार्टी समर्थन, यदि सही दिशा में ले जाया गया, तो संसद में महिला प्रतिनिधित्व को तेज़ी से बढ़ा सकता है। लेकिन साथ ही, बड़े दलों की आंतरिक गठजोड़ों और मतदाता‑विचारधारा का भी इस पर गहरा असर होगा।

आगामी कदम और संभावित चुनौतियां

डिसंबर में होने वाला प्रदर्शन, राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक जागरूकता बढ़ाने का एक प्रमुख अवसर होगा। यदि इस प्रदर्शन में बड़ी भीड़ और मीडिया कवरेज मिलता है, तो सरकार पर दबाव बढ़ेगा कि वह बिल को पास करने की प्रक्रिया तेज़ करे। लेकिन संभावित चुनौतियों में कांग्रेस‑भाजपा के बीच मतभेद, विधायी प्रक्रियाओं में देरी, और कुछ राज्य सरकारों द्वारा अपने-अपने समर्थन को लेकर झुंझलाहट शामिल हैं।

कविता का अंतर्कल्पना यह है कि "महिला केवल सरपंच या MPTC तक सीमित न रहे; उन्हें विधानसभाओं और संसद में भी समान अधिकार मिलना चाहिए।" अगर यह नारा जनता की दिलचस्पी बनता है, तो संभावित रूप से 2024 के आम चुनाव में भी इस मुद्दे का बहस का हिस्सा बन सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

महिला आरक्षण बिल का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इस बिल का लक्ष्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में 33 % सीटें महिलाओं के लिये सुरक्षित करना है, ताकि संसद में महिला प्रतिनिधित्व वर्तमान 78 से बढ़ कर 259 हो सके।

कविता ने कौन‑कौन से राजनीतिक दलों को समर्थन देने के लिये कहा है?

उन्होंने कांग्रेस की सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वर्दा, भाजपा की स्मृति इरानी, डीके अरुणा, तथा कई छोटे‑बड़े विरोधी दलों को एकजुट करके इस बिल को पारित करने का आग्रह किया है।

दिल्ली में प्रस्तावित प्रदर्शन कब होगा?

कविता ने बताया कि प्रदर्शन 5 दिसम्बर 2023 को दिल्ली के राजपथ पर आयोजित किया जाएगा, जहाँ कई राष्ट्रीय नेता भाग लेने की संभावना है।

क्या इस मुद्दे पर कोई अंतर्राष्ट्रीय ध्यान है?

हां, अंतर्राष्ट्रीय महिला अधिकार संगठनों ने भी भारत के इस बिल को समर्थन दिया है और कई देशों की संसदों ने समान आरक्षण को अपनाने की सिफ़ारिश की है।

भविष्य में इस बिल के पास होने की क्या संभावनाएं हैं?

वर्तमान राजनीतिक समीक्षकों का मानना है, यदि कविता का दिल्ली प्रदर्शन बड़ा समर्थन जुटा लेता है और सभी मुख्य दल एकजुट होते हैं, तो विशेष सत्र के दौरान बिल को पारित कराना संभव हो सकता है।

1 टिप्पणि

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    Prince Naeem

    अक्तूबर 16, 2025 AT 22:16

    कविता की पहल वास्तव में लोकतंत्र की नब्ज़ को तेज़ कर रही है। महिला आरक्षण जैसी बुनियादी मांग को राष्ट्रीय मंच पर लाना आवश्यक है। इससे न केवल प्रतिनिधित्व में सुधार होगा, बल्कि सामाजिक चेतना भी जाग्रत होगी।

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