भारतमौसम विभाग की भारी बारिश‑तूफ़ान चेतावनी, उत्तर‑पूर्व में उत्तराखंड‑दिल्ली जोखिम

जब भारतमौसम विभाग ने 5 अक्टूबर 2025 से शुरू होने वाले गंभीर मौसम‑सिस्टम की चेतावनी जारी की, तो उत्तर‑पूर्वी भारत के कई हिस्सों में काफ़ी हलचल शुरू हो गई। इस चेतावनी में उ�तरााखंड, दिल्ली‑एनसीआर, पश्चिमी बंगाल, सिक्किम एवं आसपास के कई राज्य शामिल हैं, जहाँ 21 सेमी से अधिक की अत्यधिक बारिश, तेज़ तूफ़ान और 30‑50 किमी/घंटा की हवाओं की संभावना बताई गई है।

पृष्ठभूमि एवं मौसम‑प्रणाली का परिचय

भारी बारिश‑तूफ़ान चेतावनी एक पश्चिमी विकर्षण (Western Disturbance)उत्तरी भारत के प्रभाव के कारण उत्पन्न हुई है। इस विकर्षण ने पूर्वी समुद्र तट पर एक गहरी नीचाई (depression) को जन्म दिया, जो अक्टूबर 2 को ओडिशा के पास टकराई और किनारे‑के‑नज़दीक तेज़ हवाओं के साथ आगे बढ़ी। अब यह प्रणाली पहाड़ी प्रदेशों, पश्चिमी राजस्थानों और उत्तर‑पूर्वी मैदानों तक फैल रही है।

विस्तृत पूर्वानुमान और प्रभावित क्षेत्र

उत्तरी‑पश्चिमी भारत में 5‑7 अक्टूबर तक लगातार बारिश के संकेत हैं। विशेष रूप से उत्तरााखंड को 6 और 7 अक्टूबर को अत्यधिक वर्षा का सामना करना पड़ेगा। मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  • सुब‑हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में 21 सेमी से अधिक बवंडर‑बारिश की संभावना (5 अक्टूबर)।
  • हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग, हरियाणा‑चंडीगढ़ में 5‑6 अक्टूबर तक व्यापक बारिश एवं तेज़ गड़गड़ाहट।
  • दिल्ली‑एनसीआर में 5 अक्टूबर को हल्की बारिश के बाद 6 अक्टूबर को 30‑50 किमी/घंटा की हवाओं के साथ व्यापक बूँदाबाँदी। दैनिक अधिकतम तापमान 31‑33 °C तक गिर जाएगा, जो औसत से 3 °C नीचे है।
  • केदारनाथ (उत्तरााखंड) में 6 अक्टूबर को अधिकतम 35 °F (≈ 2 °C) तक गिरावट, रात में 31 °F (≈ -0.5 °C) तक ठंड।

प्रमुख अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रियाएँ

भारी बारिश‑तूफ़ान चेतावनी के बाद, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया प्रबंधन केंद्र (NDRF) ने उत्तराखंड और दिल्ली में रेस्क्यू टीमों की तैनाती की तैयारी की घोषणा की। उत्तराखंड के वन विभाग ने “ऑरेंज” चेतावनी जारी की और बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में जल निक्षेप के लिए अस्थायी बंधकों की स्थापना का आदेश दिया। दिल्ली की मेट्रो कॉरिडोर ने संभावित जल स्तर वृद्धि के कारण कुछ ट्रैक पर गति सीमा घटाने की जानकारी दी।

संभावित प्रभाव और जोखिम‑विश्लेषण

संभावित प्रभाव और जोखिम‑विश्लेषण

ऐसी तेज़ बारिश और तेज़ हवाओं के कई नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं:

  1. शहरी क्षेत्रों में जलभराव (water‑logging) और सड़क‑बंद होने की संभावना।
  2. पहाड़ी इलाकों में झूल‑झंड (landslide) का जोखिम, विशेषकर उत्तरााखंड के हेमकुंड घाटी में।
  3. कृषि‑केंद्रित क्षेत्रों में फसल‑नुकसान, खासकर धान एवं गन्ने की खेती वाले हिस्सों में।
  4. वायु‑प्रदूषण के स्तर में मामूली कमी के बावजूद, तेज़ हवा से पावडर‑धूल (dust) के उड़ान से अस्थायी असुविधा।

स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सलाह दी है कि तेज़ हवाओं के दौरान बाहर रहने से बचें, भारी बारिश के समय बाढ़‑सुरक्षित ऊँचे स्थानों में रहें और जल‑संकट की सूचना तुरंत संबंधित प्राधिकरणों को दें।

भविष्य की संभावनाएँ और कब‑तक सावधान रहें?

वर्तमान में मौसम‑विज्ञानियों का मानना है कि 8‑10 अक्टूबर तक इस लोहा‑वेव (low‑pressure system) का प्रभाव धीरे‑धीरे कम होगा, लेकिन सतर्क रहना ज़रूरी है। यदि फिर से कोई गहरी नीचाई बनती है, तो तत्क्षण नई चेतावनियाँ जारी की जा सकती हैं। विशेष रूप से उत्तराखंड में शरद‑ऋतु के शुरुआती महीनों में ऐसी असामान्य मौसमी परिघटनाएँ कम नहीं देखी गई हैं, इसलिए अगले दो हफ्तों में पुनः अपडेट मिलते रहेंगे।

विशेषज्ञों की टिप्पणी

विशेषज्ञों की टिप्पणी

डॉ. अजय कुमार, भारतीय मौसमी अनुसंधान संस्थान (IMR) के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, “पश्चिमी विकर्षण का यह स्वरूप इस साल के पहले महीनों में देखी गई औसत से अधिक तीव्र है। हिमालयी क्षेत्र में गीला हवाओं का अनुक्रमित प्रवाह झड़़न‑सिंचन को बढ़ा सकता है, परन्तु इस समय अनुकूल रणनीतियों की कमी बाढ़‑खतरे को गंभीर बना देती है।”

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

उत्तरााखंड में इस बारिश से किसे सबसे अधिक जोखिम है?

हिल‑स्टेशनों और घाटियों में रहने वाले किसान, पर्यटन क्षेत्र के कार्यकर्ता और छोटे‑बड़े बस्ती वाले लोग सबसे अधिक जोखिम में हैं। तेज़ धारा और संभावित लैंडस्लाइड के कारण इन क्षेत्रों में आपातकालीन निकासी योजनाएँ तैयार की जा रही हैं।

दिल्ली में ट्रैफ़िक पर बारिश का क्या असर पड़ेगा?

निरंतर बारिश से कई प्रमुख राजमार्गों पर जलभराव की आशंका है। दिल्ली के ट्रैफ़िक पुलिस ने रूट‑डायवर्ज़न जारी कर दिया है और मेट्रो के कुछ सेक्शन में गति सीमा घटा दी गई है। commuters को वैकल्पिक सार्वजनिक परिवहन या कार‑पूलिंग का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है।

क्या ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों को नुकसान हो सकता है?

जी हाँ, विशेषकर धान, गन्ना और फल‑फसल वाले क्षेत्रों में भारी पानी के जमाव से जड़‑सड़न और फसल‑ऋण हो सकता है। कृषि विभाग ने किसान‑सहयोगियों को समय पर फसल‑रक्षा उपाय अपनाने के निर्देश जारी किए हैं।

भविष्य में ऐसी चेतावनियों से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?

स्थानीय प्रशासन को प्रारम्भिक चेतावनियों के आधार पर बाढ़‑निरीक्षण मंडल स्थापित करना चाहिए, और ग्रामीण क्षेत्रों में जलनिकासी के लिए जल‑संकुल (drainage) की व्यवस्था मजबूत करनी चाहिए। साथ ही, नागरिकों को मौसम‑सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

1 टिप्पणि

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    Sweta Agarwal

    अक्तूबर 6, 2025 AT 20:46

    बहुत ज़्यादा चेतावनी है, लेकिन बता दें तो मज़ा आया।

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