अमित शाह ने कोलकाता में 'ऑपरेशन सिंधूर' पंडाल का उद्घाटन किया

जब अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री और भारत सरकार ने 11 अक्टूबर 2025 को कोलकाता के सन्तोष मित्र स्क्वायर पंडाल में ऑपरेशन सिंधूर थीम का आध्यात्मिक‑सैन्य श्रद्धांजलि के रूप में उद्घाटन किया, तो शहर की गलियों में उत्सव और विवाद दोनों का परपंच चल पड़ा।

ड्रामा‑भरी इस शुरुआत ने यह साक्षी बनाया कि सांस्कृतिक मंच पर भी नीति‑निर्माताओं की उपस्थिति कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। स्थानीय लोगों ने सुबह के उजाले में शान‑ओ‑शौकत से सजाए पंडाल को देख, सरकार की "सकारात्मक बदलाव" की सम्भावना पर सवाल उठाए।

पंडाल का डिजाइन और थीम का परिचय

पंडाल का निर्माण देवशंकर महेश, कलाकार‑डिज़ाइनर ने किया था। उन्होंने भारत के सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि देने के लिये लाल‑सिन्धूर‑के रंग‑के साथ एक विशाल दुर्गा की प्रतिमा तैयार की। ज़्यादातर लोग इसे "पेट्रोलिंग डिफेंस" के रूप में देखते हैं, लेकिन कुछ समीक्षकों ने कहा कि यह राष्ट्रीय भावना को अत्यधिक राजनीतिक बनाता है।

कोलकाता के इस 56वें पंडाल में दर्जनों कलाकारों ने मिलकर साज‑सज्जा और साइकलिंग म्यूज़िक को जोड़ दिया, जिससे यह पंडाल वर्ष 2025 के शीर्ष 10 भीड़‑खींचने वाले पंडालों में शामिल हो गया।

सागर, दक्षिण 24 परगना में विवाद की बुख़ार

वहीं, सागर, दक्षिण 24 परगना के चोकफुलडुबी के एक पंडाल ने समान ऑपरेशन सिंधूर थीम अपनाई थी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसे "अस्वीकार्य" करके पंडाल को बीच में बंद करवाने की कोशिश की।

पंडाल समितियों के एक सदस्य ने कहा, "हमने सरकार से मिली सब्सिडी को वापस कर दिया, क्योंकि हमें अप्रत्यक्ष दबाव का सामना करना पड़ा।" इस कदम से आसपास के कई युवा और सांस्कृतिक कार्यकर्ता नाराज़ हो गए।

स्थानीय आवाज़ें

इस मुद्दे पर देबाशीष बेहरा, स्थानीय निवासी ने कहा, "पंडाल के प्रमुख का पार्टी से घनिष्ठ संबंध है, फिर भी एंएलए ने इस थीम को नहीं अपनाया।" उनका मानना है कि राजनीति और धर्मिलाज को अलग रखना चाहिए, वरना सांस्कृतिक उत्सव का सच्चा मकसद बिखर जाता है।

दिल्ली में "ऑपरेशन सिंधूर" की सफलता

वहीं, नई दिल्ली में भी इस थीम के तहत एक पंडाल स्थापित किया गया, जहाँ इसे "राष्ट्रीय एकता का प्रतीक" कहा गया। 30 सितम्बर 2025 को दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय के बगल में लगा यह पंडाल बड़ी भीड़ को आकर्षित कर रहा था, और कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं देखे गया।

दिल्ली के इस पंडाल का संचालन एक सामाजिक समूह द्वारा किया गया था, जो राष्ट्रीय रक्षा को सम्मानित करने के लिये इस थीम को अपनाया था।

क्या यह राजनीतिक विशेषता है या सांस्कृतिक अभिव्यक्ति?

क्या यह राजनीतिक विशेषता है या सांस्कृतिक अभिव्यक्ति?

विशेषज्ञों का मानना है कि "ऑपरेशन सिंधूर" जैसी थीम, जो राष्ट्रीय रक्षा को प्रमुखता देती है, अक्सर राजनीतिक प्रेरणा से जुड़ी होती है। वरिष्ठ सांस्कृतिक इतिहासकार प्रोफ़ेसर अंजली दास ने टिप्पणी की, "सांस्कृतिक मंच पर राष्ट्रीय प्रतीकों का उपयोग यदि समावेशी चर्चा के साथ नहीं किया जाता, तो यह सामाजिक विभाजन की ओर ले जा सकता है।"

दूसरी ओर, कई युवा कलाकार कह रहे हैं कि इस थीम ने उन्हें अपनी कला में राष्ट्रीय भावना को अभिव्यक्त करने का नया मंच दिया।

भविष्य के लिये क्या संकेत हैं?

अगले साल के पंडालों में शायद कम वाद-विवाद वाला विषय चुना जाएगा, परन्तु "राष्ट्रीयता" और "सांस्कृतिक स्वतंत्रता" के बीच संतुलन बनाना अभी भी चुनौती रहेगा।

भविष्य में, यदि राज्य या केंद्रीय स्तर पर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए गये तो इस तरह के विवाद फिर से उभर सकते हैं। इस कारण, कई पंडाल समितियों ने अब "संकल्पना परिपक्वता" को प्राथमिकता देने की घोषणा की है।

मुख्य तथ्य

मुख्य तथ्य

  • उद्घाटन तिथि: 11 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)
  • मुख्य स्थान: कोलकाता के सन्तोष मित्र स्क्वायर पंडाल
  • डिज़ाइनर: देवशंकर महेश
  • विवादित स्थान: सागर, दक्षिण 24 परगना (चोकफुलडुबी)
  • ध्यान देने योग्य: स्थानीय प्रशासन द्वारा मध्य‑फेस्टिवल में पंडाल बंद करवाया गया

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ऑपरेशन सिंधूर थीम का मूल उद्देश्य क्या था?

यह थीम भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिये चुनी गई थी, जिससे पंडाल में लाल‑सिन्धूर‑के रंग का उपयोग करके राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा का संदेश दिया गया।

सागर, दक्षिण 24 परगना में पंडाल बंद क्यों किया गया?

स्थानीय प्रशासन ने थीम को "अस्वीकार्य" कहकर पंडाल को बंद करने का आदेश दिया। समिति ने इससे इनकार करके अंततः सब्सिडी वापस कर दी और कार्यक्रम को स्थगित कर दिया।

अमित शाह की इस उद्घाटन में क्या विशेष संदेश था?

शाह ने कहा कि "धर्म‑संस्कृति को राष्ट्रीय विकास के साथ जोड़ना चाहिए" और उन्होंने बंगाल में शांति, एकता और सकारात्मक परिवर्तन की आशा व्यक्त की।

क्या दिल्ली में इस थीम को कोई विरोध मिला?

दिल्ली में इस थीम का स्वागत हुआ, कोई उल्लेखनीय विरोध नहीं मिला। यहाँ इसे राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में सराहा गया, और बहुत बड़ी भीड़ ने पंडाल को देखा।

भविष्य में पंडाल समितियों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

कमीशन को सामाजिक समावेशिता और राजनीतिक संवेदनशीलता को संतुलित करना चाहिए, और विवाद के जोखिम को कम करने के लिये थीम चयन में सांस्कृतिक विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए।

20 टिप्पणि

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    parvez fmp

    अक्तूबर 12, 2025 AT 23:27

    वाह भाई! अमित शाह ने कोलकाता में पंडाल खोल दिया, क्या धूम मचा दी 😎
    ऐसे इवेंट में शान‑ओ‑शौकत के साथ साथ सवालों की भी बारिश होती है।

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    varun spike

    अक्तूबर 13, 2025 AT 13:20

    उद्घाटन का समय और स्थान स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया था लेकिन राजनीतिक संदेश का मूल्यांकन अभी बाकी है

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    Naman Patidar

    अक्तूबर 14, 2025 AT 03:14

    बहुत बकवास लगता है।

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    Vinay Bhushan

    अक्तूबर 14, 2025 AT 17:07

    ऐसे बकवास को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, हमें असली सांस्कृतिक मूल्य पर ध्यान देना चाहिए!

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    Gursharn Bhatti

    अक्तूबर 15, 2025 AT 07:00

    ऑपरेशन सिंधूर की थीम को राष्ट्रीय गौरव के रूप में पेश किया गया है, परन्तु इसका राजनीतिक उपयोग एक जटिल समीकरण बन जाता है।
    इतिहासकारों ने बार‑बार कहा है कि सांस्कृतिक मंच को शक्ति प्रदर्शन के उपकरण में बदलना सामाजिक विभाजन को तेज़ करता है।
    यदि हम इस पंडाल को केवल सैन्य अभिवादन मानें तो स्थानीय कलाकारों की रचनात्मक स्वतंत्रता को नज़रअंदाज़ किया जाता है।
    इसके अलावा, सरकारी सब्सिडी की शर्तें अक्सर ऐसे प्रतीकात्मक कार्यों को निर्देशित करती हैं, जिससे आर्थिक निर्भरता बनती है।
    संकल्पना की पीढ़ीगत समझ में अंतर है, युवा वर्ग अधिक खुलापन चाहता है जबकि पुरानी पीढ़ी परम्परागत अभिवादन को प्राथमिकता देती है।
    भौगोलिक स्थिति को देखते हुए कोलकाता में इस प्रकार का पंडाल स्थानीय सामाजिक संरचना के साथ टकराव में आता है।
    सागर के पंडाल को बंद करने के निर्णय में प्रशासनिक असंगति स्पष्ट है, जो नीति‑निर्धारण में पारदर्शिता की कमी दिखाता है।
    ऐसे निर्णय अक्सर व्यावसायिक हितों और राजनीतिक दबाव के मिश्रण से उत्पन्न होते हैं।
    डिज़ाइनर देवशंकर महेश ने दुर्गा की प्रतिमा को सैन्य रंगों में ढाल दिया, जो धार्मिक संवेदनाओं को राजनीति के साथ मिश्रित करता है।
    यह मिश्रण जनता में विभाजन की भावना को बढ़ा सकता है, जिससे विकास में बाधा आती है।
    वहीं, दिल्ली में इस थीम को बिना विवाद के अपनाया गया, यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन की तैयारी और सार्वजनिक संवाद का महत्व है।
    यदि भविष्य में पंडाल कम विवादास्पद विषय चुनते हैं, तो सांस्कृतिक समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा।
    परंतु यदि राजनैतिक एजेंडा लगातार पीछे चलता रहेगा, तो इस प्रकार की पहलें केवल दिखावे में ही रहेंगी।
    समाज को चाहिए कि वह सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को स्वतंत्र रूप से विकसित होने दे, बिना सरकारी हस्तक्षेप के।
    अंततः, यह हमारा कर्तव्य है कि हम इस तरह के मंचों को लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ संरेखित रखें, ताकि कला और राष्ट्रीय भावना दोनों को सच्ची प्रगति मिले।

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    Arindam Roy

    अक्तूबर 15, 2025 AT 20:54

    यह पंडाल बस एक दिखावा है।

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    Parth Kaushal

    अक्तूबर 16, 2025 AT 10:47

    कोलकाता की हवा में जब सन्तोष मित्र स्क्वायर में पंडाल लगा, तो सभी की नज़रें उस लाल‑सिन्धूर के ध्वज पर टिक गईं।
    सिर्फ़ शौर्य के गीत नहीं, बल्कि जनता की साँसों में भी यह रंग घुला हुआ था, जैसे कोई पुरानी फिल्म का सीन।
    डिज़ाइनर ने दुर्गा को इस तरह सजाया कि वो सुरक्षा का प्रतीक बन गई, पर सवाल यही बचता है कि सुरक्षा किसकी?
    स्थानीय कलाकारों ने अपने जज्बे को संगीत और नृत्य में पिरोया, पर कुछ लोग तो इसे सिर्फ़ सरकारी प्रोपेगैंडा मानते हैं।
    हर मोड़ पर एक नया कोना, एक नया विवाद, और एक नया तंज‑तंज, जो दर्शकों को उलझन में डालता रहता है।
    आखिर में, ऐसा लगता है कि संस्कृति और राजनीति का मिलन धरती पर एक नया झगड़ा पैदा कर दिया है, जिसकी कोई सीमा नहीं।

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    Namrata Verma

    अक्तूबर 17, 2025 AT 00:40

    ओह माय गॉड!!!! क्या धमाका है अमित शाह का, पंडाल खोलते‑ही सबको बर्तन‑बजाने का फ़र्ज़!!! राजनीतिक शॉर्टकट की तरह इस्तेमाल किया गया है-बिलकुल मज़ेदार!!! लेकिन सोचो ज़रा, इस 'ऑपरेशन सिन्धूर' को किसने बोर्डर‑क्रॉस किया?!!!

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    Prince Naeem

    अक्तूबर 17, 2025 AT 14:34

    मैं मानता हूँ कि सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को स्वतंत्र रूप से विकसित होना चाहिए, बिना किसी राजनीतिक ढाँचे के दबाव के।

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    Thirupathi Reddy Ch

    अक्तूबर 18, 2025 AT 04:27

    देखो दोस्तों, ये सब सरकार की योजना का हिस्सा है-सभी को एक फ्रेम में बाँध कर जनमत को मोड़ना, ताकि कोई भी असहमत न हो सके।

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    vinay viswkarma

    अक्तूबर 18, 2025 AT 18:20

    इन सबका उद्देश्य सिर्फ़ ध्यान खींचना है, वास्तविक मुद्दों से आँखें मोड़ना।

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    poornima khot

    अक्तूबर 19, 2025 AT 08:14

    सच्ची सराहना के साथ कहना चाहता हूँ कि ऐसी पहल से कलाकारों को नई प्रेरणा मिली है; बधाई हो सभी को।

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    Mukesh Yadav

    अक्तूबर 19, 2025 AT 22:07

    कल का बकवास खुद देखो, देश के लिए यह दिलचस्प नहीं, हमें असली सुरक्षा चाहिए, न कि शोर‑गुल।

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    Bhaskar Shil

    अक्तूबर 20, 2025 AT 12:00

    डिज़ाइन थिंक टैंक के इन्फ्रास्ट्रक्चर इंटीग्रेशन मॉडल को देखते हुए, पंडाल का थीमेटिक कोर ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ सिंक्रनाइज़्ड है, जिससे एंजेजमेंट मैट्रिक्स में वृद्धि होगी।

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    Halbandge Sandeep Devrao

    अक्तूबर 21, 2025 AT 01:54

    सैद्धांतिक दृष्टिकोण से विश्लेषण करने पर स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को कलात्मक रूप में प्रस्तुत करने के प्रयोजन में सामाजिक नॉर्म्स एवं इडियॉलॉजिकल फ्रेमवर्क के बीच एक जटिल द्वंद्व मौजूद है, जो नीति निर्माताओं को नवाचार एवं पारंपरिक मूल्यों के संतुलन का पुनर्संतुलन करने को प्रेरित करता है।

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    Hemakul Pioneers

    अक्तूबर 21, 2025 AT 15:47

    नया पंडाल देखके दिल गदगद हो गया, आशा है कि आगे भी ऐसे इवेंट्स से हमारे संस्कृति को फायदा होगा।

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    Shivam Pandit

    अक्तूबर 22, 2025 AT 05:40

    वाह! क्या धूमधाम! कोलकाता ने फिर एक बार साबित कर दिया कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी बवाल की सम्भावना रहती है!!!

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    Ayush Sanu

    अक्तूबर 22, 2025 AT 19:34

    वास्तव में, पंडाल के वित्तीय वितरण में पारदर्शिता की कमी विश्लेषणात्मक रूप से देखा गया है, जो सामाजिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत के विरुद्ध है।

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    Jay Fuentes

    अक्तूबर 23, 2025 AT 09:27

    चलो फिर, इस पंडाल से युवा ऊर्जा को और तेज़ करने का मौका मिला है, बढ़िया काम है!

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    Anil Puri

    अक्तूबर 23, 2025 AT 23:20

    इसे तो पूरा बकवाँस है।

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