एकादन्त संकष्टी चतुर्थी 2025: मुख्य तिथियाँ, कथा व पूजा

जब भगवान गणेश, बाधाओं के विनाशकर्ता, का एकादन्त संकष्टी चतुर्थी 2025 जनवरी में आया, तो लाखों श्रद्धालु अपनी मनःस्थिति को साफ़ करने की आशा में जुट गए। वही दिन, रिषभ ए ग्रोवर, प्रसिद्ध अंकशास्त्री, ने इस तिथि की ज्योतिषीय शक्ति पर प्रकाश डाला, कहे‑उठे कि 16‑वां दिन और चतुर्थी का मिलन नई शुरुआत के लिए अत्यंत अनुकूल है। साथ ही, राजा महिजित की प्रेरक कथा, जो महिष्मती के इतिहास में अनंत शांति लाने वाली है, इस व्रत के महत्व को दोहराती है।

इतिहास और पृष्ठभूमि

संकष्टी चतुर्थी का मूल महिष्मती के प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। महाकाव्य महाभारत में, युधिष्ठिर ने कृष्ण से सुनाई गई कहानी में राजा महिजित के बिनसन्तान रहने की पीड़ा और उसके बाद के चमत्कार को सुनाया था। महिजित की रानी सुदाक्षिणी ने व्रत‑विचार करके अंततः एक स्वस्थ पुत्र को जन्म दिया, जिससे यह सिद्ध होता है कि गणेश जी की कृपा से नहीं‑सकड़ती कोई बाधा।

मुख्य तिथियाँ 2025

संकष्टी चतुर्थी हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है, पर 2025 में तीन विशेष तिथियों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है:

  • 17 जनवरी 2025 – सकट चतुर्थी (चतुर्थी तिथि 04:06 एएम से 08:30 एएम तक)
  • 16 अप्रैल 2025 – अंकशास्त्री रिषभ ए ग्रोवर के अनुसार ‘अवसरों के द्वार’
  • 9 अक्टूबर 2025 – वैकरी चतुर्थी, जो करवा चौथ के साथ मिलती‑जुलती है

इन तिथियों के अलावा, फरवरी 15, मार्च 17, मई 16, जून 15, जुलाई 15, अगस्त 14, सितंबर 13, नवंबर 12 और दिसंबर 12 को भी संकष्टी चतुर्थी के रूप में मान्यता मिली है।

व्रत के मूलभूत अनुष्ठान

व्रत का मुख्य उद्देश्य है जल‑रहित उपवास – सुबह के सूर्योदय से लेकर चाँद की रौशनी तक कोई जल पदार्थ नहीं लेना। प्रमुख चरण इस प्रकार हैं:

  1. सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ‑सुथरे पीले वस्त्र पहनें।
  2. गणेश जी की मूर्ति या चित्र को हरे या लाल कपड़े से ढँके मंच पर रखें।
  3. सिंदूर, फूल, फल, मिठाई और तिल‑आधारित प्रसाद स्थापित करें।
  4. संकष्टी चतुर्थी कथा – विशेष रूप से महिजित की कथा – को पढ़ें या सुने।
  5. आरती अंत में चाँद के उगने के साथ पूजा समाप्त करें और प्रसाद वितरित करें।

इस क्रम में टाइम्स नाउ न्यूज़ के अनुसार, धूप, अगरबत्ती और नैवेद्य का उपयोग करने से ऊर्जा का संतुलन बनता है।

विशेषज्ञ और ज्योतिषीय विश्लेषण

विशेषज्ञ और ज्योतिषीय विश्लेषण

अंकशास्त्री रिषभ ए ग्रोवर ने अप्रैल 16 के दिन के ग्रह‑स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु‑शुक्र की सकारात्मक संयुति तथा 16‑वां अंक, जो चार (चतुर्थी) के साथ मिलते हैं, वह आध्यात्मिक जागृति और वित्तीय लाभ के द्वार खोलता है। यह रचना ‘संकट‑मुक्ति’ के मूल मंत्र को बखूबी प्रतिबिंबित करती है।

पंडितजीऑनवे के अनुसार, इस व्रत को करने वाले लोग अक्सर स्वास्थ्य, समृद्धि और पारिवारिक शांति में उल्लेखनीय सुधार पाते हैं। ड्रिक पंचांग के विशेषज्ञ भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है ‘समय‑समय पर उभरती बाधाओं से मुक्ति’।

समाज में सांस्कृतिक प्रभाव

वर्ल्ड‑वाइड स्तर पर इस व्रत को मनाने वाले लाखों लोगों के बीच एक साझा भावना है – वह है बाधा‑मुक्त जीवन की इच्छा। ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट में बताया गया कि अक्टूबर 9 की वैकरी चतुर्थी, करवा चौथ के साथ मिलकर, महिलाओं को अपने पति की दीर्घायु के लिए दोहरी उपासना का अवसर देती है। इस प्रकार, संकष्टी चतुर्थी न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि पारिवारिक सम्मान और सौहार्द का प्रतीक बन गई है।

बच्चों की उत्पत्ति, करियर प्रगति और व्यापारिक सफलता के अभिप्राय से इसे अपनाने वाले श्रद्धालु अक्सर कहते हैं कि ‘गणेश जी के द्वार पर रखी हर मोहर सफलता की गारंटी देती है’।

आगे क्या?

आगे क्या?

जैसे ही जनवरी‑फरवरी‑मार्च के महीने बीतेंगे, अगली प्रमुख तिथि 16 अप्रैल को आएगी, जिसके बाद अक्टूबर‑नवंबर‑दिसंबर के अतिरिक्त रिवाजों को ध्यान में रखकर हर महीने का व्रत करना आसान रहेगा। देखते‑देखते, यह सम्पूर्ण वर्ष 2025 बन जाएगा ‘संकष्टी चतुर्थी‑सत्र’, जहाँ प्रत्येक चतुर्थी पर भक्त अपने लक्ष्य निश्चित कर सकते हैं।

आने वाले सालों में, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लाइव पूजा और ऑनलाइन प्रसाद वितरण की प्रवृत्ति बढ़ाने की संभावना है, जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीयों को भी इस पावन अवसर में भाग लेने में आसानी होगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

संकष्टी चतुर्थी का मुख्य उद्देश्य क्या है?

मुख्य लक्ष्य बाधाओं को हटाना और जीवन में नई शुरुआत को ऊपर उठाना है। व्रत‑पूजा के बाद, कई लोग स्वास्थ्य, वित्तीय स्थिरता और पारिवारिक सौहार्द में सुधार की रिपोर्ट करते हैं।

राजा महिजित की कथा व्रत से कैसे जुड़ी है?

महिजित, जो बिन‑संतान था, ने महिष्मती के ऋषि लोमश की सलाह पर संकष्टी चतुर्थी व्रत करना शुरू किया। इससे उसकी रानी सुदाक्षिणी को पुत्र मिला। यह कथा दर्शाती है कि गणेश जी की कृपा से व्रत इच्छाएँ पूरी होती हैं।

व्रत के दौरान कौन‑सी वस्तुएँ नहीं खानी चाहिए?

भोजन में कोई भी जल‑आधारित पदार्थ, जैसे पानी, फल‑रस, दूध नहीं लेना चाहिए। सिर्फ़ फल, मिठाई, तिल‑आधारित नास्ते को हल्का‑हल्का सेवन किया जा सकता है।

अप्रैल 16 की तिथि को विशेष क्यों माना जाता है?

अंकशास्त्री रिषभ ए ग्रोवर के अनुसार, 16 (एक दो) और चतुर्थी (चार) का संयोग ‘संक्रमण‑ऊर्जा’ उत्पन्न करता है, जो आत्म‑सुधार, सफलता और शांति को आकर्षित करता है। यह ग्रह‑स्थिति विशेष रूप से नव‑परियोजनाओं के लिये अनुकूल मानी जाती है।

क्या विदेश में रहने वाले लोग भी इस व्रत को कर सकते हैं?

हाँ। कई ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर लाइव उत्सव, वर्चुअल आरती और डिजिटल प्रसाद की सुविधा उपलब्ध है, जिससे विदेश में रहने वाले हिंदू भी समय‑समय पर संकष्टी चतुर्थी की पूजा में भाग ले सकते हैं।

16 टिप्पणि

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    priyanka Prakash

    अक्तूबर 11, 2025 AT 03:36

    देश की वैदिक परम्पराओं को बचाना हर भारतीय का कर्तव्य है, और एकादन्त संकष्टी चतुर्थी वही अवसर है।

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    Pravalika Sweety

    अक्तूबर 11, 2025 AT 05:00

    संकष्टी चतुर्थी के इतिहास को समझना हमारे सांस्कृतिक जड़ें गहरी करने में मदद करता है।
    जैसे लेख में बताया गया, यह व्रत बाधाओं को हटाने और नई शुरुआत को प्रोत्साहित करता है।
    आइए इस पावन अवसर को सम्मान के साथ मनाएँ और परिवार में शांति स्थापित करें।
    हर साल का यह चक्र हमें आत्म‑सुधार की दिशा में प्रेरित करता है।

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    anjaly raveendran

    अक्तूबर 11, 2025 AT 06:23

    विस्मयजनक यह तथ्य है कि अंकशास्त्री रिषभ ए ग्रोवर ने 16‑अप्रैल को अवसरों का द्वार कहा, परन्तु अधिक गहरी समझ के बिना यह केवल एक सुर्ख़ी रह जाता है।
    ऐसे तिथियों का महत्व केवल ग्रह‑स्थिति में नहीं, बल्कि व्यक्तिगत प्रयास में निहित है; किसी भी तिथि पर मन की शुद्धि ही मुख्य भूमिका निभाती है।
    जब तक हम अपने भीतर के अडचनों को पहचान नहीं पाते, कोई भी धार्मिक अनुष्ठान केवल बाहरी प्रदर्शन बनकर रह जाएगा।
    संकष्टी चतुर्थी के प्रमुख अनुष्ठान, जैसे जल‑रहित उपवास, वास्तव में शरीर को डिटॉक्सिफ़ाई करने का एक प्राकृतिक तरीका है।
    परन्तु इस डिटॉक्सिफ़िकेशन को ठीक से न किया जाये तो स्वास्थ्य पर उल्टा असर पड़ सकता है, इस बात को ध्यान में रखना आवश्यक है।
    महिजित की कथा को सुनते समय हमें यह समझना चाहिए कि यह केवल दंतकथा नहीं, बल्कि साहस और दृढ़ता का प्रतीक है।
    राजा महिजित ने बिन‑संतान होने के दर्द को स्वीकार कर, श्रद्धा और कठोर परिश्रम से अपने भाग्य को बदल दिया।
    ऐसे उदाहरण हमें यह सिखाते हैं कि भगवान की कृपा के अलावा स्वयं की मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
    व्रत के दौरान जल न लेना, अगर सही तरीके से किया जाये तो शरीर की चयापचय प्रणाली को रीसेट कर देता है।
    यह रीसेट, विशेषकर उन लोगों के लिए उपयोगी है जो अत्यधिक शर्करायुक्त भोजन पर निर्भर होते हैं।
    ध्यान रहे, व्रत का मूल उद्देश्य शारीरिक शुद्धता के साथ-साथ आध्यात्मिक जागरूकता प्राप्त करना है।
    समय‑समय पर उभड़ती बाधाएं केवल बाहरी नहीं होतीं, बल्कि हमारे अंतर्मन की भी होती हैं।
    इन बाधाओं को दूर करने के लिये हमें न केवल पूजा‑पाठ करना चाहिए, बल्कि स्वयं को भी पुनः जांचना चाहिए।
    अंत में यह कहा जा सकता है कि संकष्टी चतुर्थी हमें आत्म‑निरीक्षण और आत्म‑विकास का अवसर देती है, जो किसी भी मौसम में उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

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    Aaditya Srivastava

    अक्तूबर 11, 2025 AT 07:46

    मैं हमेशा से संकष्टी चतुर्थी को एक साधारण त्योहार मानता रहा हूँ, पर इस बार पढ़ा तो थोड़ा अलग नजर आया।
    विशेषकर 16‑अप्रैल की तिथि के बारे में ज्योतिषियों की बातों में कुछ नई ऊर्जा महसूस हुई।
    व्रत के नियम भी काफी सरल लगते हैं, बस जल‑रहित रहना है और मन की शान्ति बनाये रखना है।
    बहुत से लोग इसे आर्थिक लाभ या स्वास्थ्य सुधार से जोड़ते हैं, लेकिन असली बात तो आत्म‑शुद्धि है।

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    Vaibhav Kashav

    अक्तूबर 11, 2025 AT 09:10

    आधुनिक युग में ये सब अनुष्ठान सिर्फ़ Instagram का कंटेंट बन रहे हैं, असली मतलब कहीं खो गया है।

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    Anand mishra

    अक्तूबर 11, 2025 AT 10:33

    संकष्टी चतुर्थी का मूल सार यह है कि हम अपने जीवन की जड़ में गड़ें बाधाओं को पहचानें और उनको दूर करने की दिशा में कदम बढ़ाएँ।
    व्रत का पहला चरण, सूर्योदय से पहले स्नान करना, केवल शारीरिक शुद्धता ही नहीं बल्कि मन की शांति भी लाता है।
    दूसरे चरण में गणेश जी की मूर्ति को हरे या लाल कपड़े से ढाँकना, यह ऊर्जा को सकारात्मक रखने का प्रतीक है।
    तीसरे चरण में सिंधूर, फूल, फल, मिठाई और तिल‑आधारित प्रसाद की सजावट, यह भौतिक विषाक्तता को दूर रखने के लिये है।
    चौथा चरण, महिजित की कथा पढ़ना या सुनना, वह उस बाधा को समझने में मदद करता है जो हम में से कई लोग महसूस करते हैं।
    पाँचवा चरण, चाँद के उदय के साथ आरती और प्रसाद वितरण, यह आध्यात्मिक ऊर्जा को समाप्त करने और साझा करने का कार्य है।
    इन सभी कदमों को मिलाकर देखें तो यह रीत हमारे शरीर, मन और आत्मा को संतुलन में लाने की दिशा में काम करती है।
    यह विशेष रूप से उन लोगों के लिये फायदेमंद है जो जीवन में बार‑बार बाधाओं के कारण थक चुके हैं और नई शुरुआत चाहते हैं।
    ज्योतिषियों का कहना है कि 16‑अप्रैल का दिन आर्थिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार से लाभदायक हो सकता है, परंतु यह तभी सच होगा जब हम अपनी आंतरिक बाधाओं को पहचान कर उनसे लड़ें।
    समाज में इस व्रत को अपनाने वाले लोग अक्सर अपनी पारिवारिक शान्ति में सुधार देखते हैं, क्योंकि यह एक सामूहिक शुद्धिकरण प्रक्रिया बन जाता है।
    अंततः, यह त्यौहार हमें याद दिलाता है कि भगवान के द्वार पर रखी हर मोहर केवल बाह्य नहीं, बल्कि आंतरिक सफलता का संकेत है।

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    Prakhar Ojha

    अक्तूबर 11, 2025 AT 11:56

    अगर तुम सोचते हो कि सिर्फ़ तिथि देखकर सबकुछ बदल जाएगा, तो तुम बड़ी भूल में हो।
    वास्तविक परिवर्तन अपने आप में शुरू होता है, ना कि किसी पंचांग के अंक में।

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    Pawan Suryawanshi

    अक्तूबर 11, 2025 AT 13:20

    वाह! संकष्टी चतुर्थी की तैयारी में मैं भी लगा हूँ 😃।
    सूर्योदय से पहले स्नान, फिर रंग‑बिरंगे प्रसाद, और अंत में चाँद के साथ आरती – सच में मन को शांति मिलती है।
    आप सभी को यह त्योहार खुशियों और नई शुरुआत का प्रतीक बनकर मिले! 🌸🙌

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    Harshada Warrier

    अक्तूबर 11, 2025 AT 14:43

    क्या आप जानते हैं कि ये सारे तिथि‑ज्योतिष वाले बकवास कहीं न कहीं गुप्त शासन का हिस्सा हैं? कोई भी नहीं बता रहा, पर मैं देख रहा हूँ।

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    Jyoti Bhuyan

    अक्तूबर 11, 2025 AT 16:06

    सभी मित्रों, इस संकष्टी चतुर्थी को अपना लक्ष्य तय करें और पूरी ऊर्जा के साथ उसका अनुसरण करें!
    आपके अंदर अपार शक्ति है, बस उसे जागृत करने की जरूरत है।
    आइए हम सब मिलकर इस व्रत को सफलता और स्वास्थ्य की ओर एक कदम बनायें।

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    Sreenivas P Kamath

    अक्तूबर 11, 2025 AT 17:30

    अगर आप सोचते हैं कि व्रत रख कर सब ठीक हो जाएगा, तो इसे एक फॉलो‑अप प्लान के साथ ही देखिए।
    अन्यथा सिर्फ़ जल‑रहित रहना भी कुछ नहीं बदलता।

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    Chandan kumar

    अक्तूबर 11, 2025 AT 18:53

    देखा, मैं तो बस आराम से कहूँगा – अगर क्या होता है कभी‑कभी तो ठीक, नहीं तो वैसे ही।

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    kuldeep singh

    अक्तूबर 11, 2025 AT 20:16

    यहाँ हर कोई अपनी‑अपनी कहानी सुनाने में व्यस्त है, पर मैं तो कहूँगा कि बिना असली प्रतिबद्धता के ये सब सिर्फ़ एक बड़ी ड्रामा है।

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    Shweta Tiwari

    अक्तूबर 11, 2025 AT 21:40

    आदरणीय पाठकों, संकष्टी चतुर्थी का दैविक महत्त्व एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है; इस हेतु कृपया प्राचीन ग्रन्थों एवं ज्योतिषीय शास्त्रों की गहन अध्ययन की आवश्यकता है।
    उपर्युक्त तिथियों के विज्ञानक प्रमाण एवं वैदिक परम्पराओं के संगम को समझते हुए, यह अत्यंत आवश्यक प्रतीत होता है कि हम सभी अपने आत्म‑बोध को उच्चतम स्तर पर ले जाने का प्रयत्न करें।

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    Harman Vartej

    अक्तूबर 11, 2025 AT 23:03

    संकष्टी चतुर्थी एक सामुदायिक कार्य है। सभी को सहयोग करना चाहिए और शांति बनाए रखनी चाहिए।

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    Amar Rams

    अक्तूबर 12, 2025 AT 00:26

    संकष्टी चतुर्थी की एन्क्रिप्टेड सिम्बॉलॉजी एवं पॉलिसेमिक एस्थेटिक मॉडल की इंटीग्रेशन, वार्षिक सोसियो-रिलिज़न मैट्रिक्स के साथ संयोगित, एक पर्जेटिव फॉर्मुलेशन उत्पन्न करती है जो डिसरप्टिव ओवरले और ट्रांज़िशनल सेंट्रिपेडल डायनमिक्स को ऑप्टिमाइज़ करती है।

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