बांग्लादेश में हिंसा: अभिनेता शांतो खान और उनके पिता सेलिम खान को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला
बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल
5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में एक दर्दनाक और विभाजक घटना ने देश को हिला कर रख दिया। चर्चित अभिनेता शांतो खान और उनके पिता, नामी फिल्म निर्माता सेलिम खान को चाँदपुर जिले में एक हिंसक भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। यह त्रासदी उस समय घटित हुई जब वे दोनों राजनीतिक अशांति और हिंसा के चलते अपना गाँव छोड़कर भागने का प्रयास कर रहे थे। देश में पिछले कुछ हफ्तों से हिंसा की स्थिति बढ़ती जा रही थी, जिसने अंततः प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और सेना द्वारा अंतरिम सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त किया।
भागने का प्रयास और भीड़ का हमला
घटना के विवरण के अनुसार, शांतो और सेलिम खान ने अपनी जान बचाने के लिये गाँव से भागने का प्रयास किया था। वे किसी तरह से अपनी गाड़ी से निकलने में सफल रहे और उन्होंने गोलियां चला कर भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की। लेकिन दुर्भाग्यवश, वे बागराबाजार क्षेत्र में फंस गए, जहां एक उग्र भीड़ ने उन्हें पकड़ लिया और निर्दयता पूर्वक पीट-पीटकर मार डाला।
सेलिम खान की फिल्म निर्माण में उपलब्धियाँ
सेलिम खान बांग्लादेशी फिल्म उद्योग के एक प्रतिष्ठित नाम थे। वह लक्ष्मीपुर मॉडल यूनियन परिषद के चेयरमैन थे और शापला मीडिया के निर्देशक भी थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण फिल्में जैसे 'शहंशाह' और 'बिद्रोही' का निर्माण किया था। इसके अलावा, उन्होंने बांगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के जीवन पर आधारित 'तुंगी पारार मिया भाई' नामक बायोपिक का निर्देशन भी किया था।
शांतो खान का फिल्मी करियर
शांतो खान ने भी अपने अभिनय से लोगों का ध्यान खींचा था। उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया था, जिनमें 'बिखव' और 'पिया रे' विशेष रूप से लोकप्रिय हुई थीं। उनकी अचानक और दर्दनाक मृत्यु ने उनके प्रशंसकों और फिल्म उद्योग के मित्रों को स्तब्ध कर दिया है।
शख्सियतों पर आरोप और कानूनी कार्यवाही
घटना से पूर्व, शांतो खान पर अवैध संपत्ति प्राप्त करने के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक आयोग द्वारा कानूनी कार्यवाही शुरू की गई थी। वहीं, सेलिम खान पर भी भ्रष्टाचार और पद्मा-मेघना नदी से अवैध बालू संग्रहण के आरोप थे। इन आरोपों के अलावा, उनकी हत्या ने देश में एक अलग ही स्तरीय तनाव खड़ा कर दिया है।
फिल्म उद्योग में शोक की लहर
इस हृदय विदारक घटना ने बांग्लादेश के फिल्म उद्योग को गहरे सदमे में डाल दिया है। कोलकाता और बांग्लादेश के उनके सहकर्मियों, मित्रों और प्रशंसकों ने अपने शोक और अविश्वास को व्यक्त किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी इस घटना की तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली, जहां लोगों ने अपनी संवेदनाएं और दुख साझा किया।
देश में असुरक्षा का माहौल
इस घटना ने देश में बढ़ती असुरक्षा और अशांति की भावना को और गहरा कर दिया है। पिछले कुछ सप्ताहों में बांग्लादेश में हिंसा की दर में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसने आम जनजीवन को प्रभावित किया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और सेना के हस्तक्षेप से स्थिति और भी बिगड़ गई है। इस समय, देश के नागरिक एक अंधकारमय और अनिश्चित भविष्य के बारे में सोचने पर विवश हैं।
समाज पर प्रभाव
यह घटनाएं सिर्फ राजनीतिक या व्यक्तिगत घटनाएं नहीं हैं, बल्कि इसका समाज के प्रत्येक वर्ग पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। फिल्मी सितारों की इतनी त्रासदीपूर्ण मृत्यु ने लोगों को जगाया है और वे अपने समाज में बढ़ती हिंसा पर चर्चा करने के लिए मजबूर हो गए हैं। इस समय, बांग्लादेशी समाज को एकजुट होकर हिंसा और अशांति के खिलाफ खड़े होने की जरूरत है।
भविष्य की दिशा
देश को इस समय में तेजी से और निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि इस प्रकार के हिंसाचार को रोका जा सके। सरकार, सेना और समाज के हर तबके को मिलकर एक स्थिर और सुरक्षित बांग्लादेश के निर्माण के लिए काम करना होगा। यह घटना एक कड़ी चेतावनी है कि आपसी सौहार्द और शांति बनाए रखकर ही हम अपने देश को सुरक्षित और खुशहाल बना सकते हैं।