दिल्ली की हवा हुई जहरीली: दिवाली पर पटाखों के कारण छाया धुआं

दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति

दिवाली के पर्व पर हर साल दिल्ली की हवा में जहरीला धुआं फैल जाता है, किन्तु इस बार की स्थिति अत्यधिक चिंताजनक बन गई है। जबर्दस्त आतिशबाजी ने पूरे शहर को धुएं में घेर लिया है, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक 'अत्यधिक खराब' कैटेगरी में पहुँच गया है। गुरुवार की रात 10 बजे तक शहर का Air Quality Index (AQI) 330 पर पहुँच गया, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। आंनद विहार जैसे इलाकों में AQI 400 का आंकड़ा पार कर गया जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है।

पटाखों पर प्रतिबंध का उल्लंघन

पटाखों पर प्रतिबंध का उल्लंघन

हालांकि सरकार ने पटाखों के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया था, लेकिन इसके बावजूद लोग नियमों की धज्जियाँ उड़ाते दिखे। प्रशासन ने 377 निगरानी टीमों का गठन किया था, जो वाणिज्यिक स्थलों और आवासीय क्षेत्रों में जागरुकता फैलाने का काम कर रही थीं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने अनेक सोशल संगठनों के साथ मिलकर पटाखा उपयोग पर रोक लगाने की कोशिश की। लेकिन दिल्ली के पूर्वी और पश्चिमी इलाकों की गलियों में जमकर पटाखे फूटे।

मौसम की मार: वायु प्रदूषण को बिगाड़ने वाले प्रमुख कारक

मौसम की मार: वायु प्रदूषण को बिगाड़ने वाले प्रमुख कारक

दिवाली के दौरान दिल्ली की हवा की गुणवत्ता और खराब होने के पीछे मौसम भी एक बड़ा कारक है। इस बार मौसम की प्रतिकूल दशाएँ, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और वाहनों से उत्सर्जन ने स्थिति को बद से बदतर बना दिया। सर्दियों के समय जब धूप की कमी और ठंडी हवाएँ हो रही हों, तब हवा में आर्द्रता की वजह से प्रदूषक तत्व ऊपर नहीं उठ पाते और वही धरती के पास मंडराते रहते हैं।

दिल्ली-एनसीआर के अन्य क्षेत्र

दिल्ली के आसपास के इलाके जैसे नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम में स्थिति थोड़ी बेहतर रही। यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 'खराब' श्रेणी में ही रहा। हालांकि, फरीदाबाद में AQI 181 दर्ज किया गया, जो अपेक्षाकृत सामान्य था। इसके बावजूद, वाहनों से होने वाला उत्सर्जन और स्थानीय प्रदूषण ने दिल्ली-एनसीआर में धुएं को और बढ़ा दिया।

स्थानीय सरकार और प्रदूषण नियंत्रण उपाय

स्थानीय सरकार और प्रदूषण नियंत्रण उपाय

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के अनुसार, नवंबर की शुरुआत में सबसे अधिक प्रदूषण की संभावना है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएँ बढ़ जाती हैं। सरकार के बार-बार जोर देने के बावजूद, दिवाली के समय शहर प्रदूषण के उच्च स्तर पर पहुंच ही जाता है। हाल के वर्षों में हमने AQI 312 (2022), 382 (2021), और 414 (2020) दर्ज किए हैं। यह दर्शाता है कि यदि पटाखों का उपयोग यूं ही बेधड़क जारी रहेगा, तो दिल्ली की वायु गुणवत्ता में कोई स्थाई सुधार संभव नहीं हो सकेगा।

प्रदूषण के इस संकट से निपटने के लिए सरकार और जनता को मिलकर प्रयास करने होंगे। जब तक हम खुद अपनी जिमेदारी नहीं समझते, तब तक ऐसे प्रदूषण से मुक्ति मुश्किल है।